वारिया बस्ती को हटाने गए रेल अधिकारियों का लोगों ने किया विरोध

 

लोगों से मिलने गए भाजपा विधायक को लगाए गए गो बैक का नारे, 

लोगों के विरोध के कारण रेलवे का अतिक्रमण अभियान स्थगित

दुर्गापुर(संवाददाता):रेल प्रशासन द्वारा दुर्गापुर के वारिया, माया बाजार सहित कई इलाकों के बस्तियों को अतिक्रमण करने के खिलाफ लोगों का विरोध जारी है. मंगलवार अतिक्रमण करने गए रेल अधिकारियों एवम रेल पुलिस जवानों को स्थानीय लोगों का गुस्से का शिकार होना पड़ा .घंटे भर से अधिक विरोध जताने के बाद अंततः रेल अधिकारियों ने अतिक्रमण कार्य फिलहाल स्थगित करने का फैसला किया. एवम अधिकारियों को बिना बस्ती हटाए वापस होना पड़ा. अतिक्रमण के दौरान रेल अधिकारी जेसीबी मशीन लगाकर बस्ती को हटाने पहुंचे . अधिकारियों के सुरक्षा के लिए दुर्गापुर आरपीएफ जवानों के साथ-साथ राज्य पुलिस के जवान तैनात किए गए थे. अतिक्रमण शुरू होने के पहले ही बस्ती में रहने वाले सैकड़ों महिला पुरुष एकजुट होकर मुआवजे की मांग पर अड़ गए एवम जेसीबी मशीन के सामने खड़े होकर प्रदर्शन करने लगे. जिससे इलाके में तनाव व्याप्त हो गया.बस्ती के लोगों के सहयोग के लिए तृणमूल के पूर्व पार्षद लोकनाथ दास, तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के तीन नंबर ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश यादव, एससी सेल के ब्लॉक अध्यक्ष सिकंदर मल्लीक, युवा संगठन अध्यक्ष इमरान खान सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे. एवम सभी ने रेल प्रशासन से पहले पुनर्वासन की मांग पर अड़ गए. स्थिति बिगड़ता देख प्रशासन ने आंदोलन कर रहे कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया. दिनेश यादव सहित तृणमूल नेताओं ने कहा कि रेल प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के पहले बस्ती में रहने वाले हजारों लोगों को पहले पुनर्वासन देनी होगी. बिना पुनर्वासन दिए बस्ती के लोगों को हटाया नहीं जा सकता है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गरीब जनता के साथ खड़ी है . बस्ती में रहने वाले सैकड़ों लोग 50 वर्षों से अधिक समय से रेलवे के अधिकृत जमीन पर खटाल एवं बस्ती बनाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. रेल प्रशासन के विकास कार्य में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन बस्ती हटाने के पहले लोगों को पुनर्वासन देना होगा अन्यथा तृणमूल कांग्रेस लोगों के अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन जारी रखेगी.
भाजपा विधायक का विरोध: मंगलवार रेलवे प्रशासन द्वारा वारिया इलाके में अतिक्रमण अभियान के तहत हो रही हंगामा को देख दुर्गापुर पश्चिम विधानसभा केंद्र के भाजपा विधायक लखन घुरई बस्ती के लोगों से मिलने हेतु इलाके में पहुंचे, जहां तृणमूल के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों का विधायक को गुस्से का शिकार होना पड़ा. दिनेश यादव ने भाजपा विधायक पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि रेल केंद्र सरकार के अधीन है, केंद्र में बैठी मोदी सरकार एक ओर आवास योजना देकर लोगों को राहत देने का ढोंग करती है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के नुमाइंदे बस्ती उजाड़ने में तुले हैं. पूर्व पार्षद लोकनाथ दास ने बताया कि इसके पहले भी तृणमूल कांग्रेस की ओर से पुनर्वासन की मांग को लेकर रेल प्रशासन को आवेदन किया गया था. लेकिन रेल प्रशासन इस मामले में कोई भूमिका पालन नहीं की. मंगलवार अचानक रेल प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू किया गया है. जो पूरी तरह से गलत है ,रेल प्रशासन को पुनर्वासन के साथ-साथ हर नागरिक को उचित मुआवजा देना होगा.

भाजपा विधायक ने राज्य सरकार को घेरा: मंगलवार बस्ती के एवं तृणमूल कार्यकर्ताओं के विरोध करने पर भाजपा विधायक लखन घुरई ने कहा की विरोध करने वाले स्थानीय लोग नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडे एवं दलाल हैं, जो अतिक्रमण के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा बंगाल के डानकुनी से पंजाब के लुधियाना तक कोरीडर निर्माण का कार्य बड़े स्तर पर शुरू किया गया है. बस्ती के लोगों को पुनर्वासन के लिए भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया एवं मैं खुद केंद्र सरकार को कई बार आवेदन भेजा हूं. अतिक्रमण करने के पहले बस्ती के लोगों का पुनर्वासन मिलना उचित है. बस्ती के लोगों को जमीन राज्य सरकार को मुहैया करानी चाहिए. पुनर्वासन के तौर पर केंद्र सरकार हर अतिक्रमण हुए हर नगरिक को आवास बनाने का जिम्मा लेती है. लेकिन स्थानीय तृणमूल के कुछ दलाल प्रवृत्ति के लोग नशे में होकर रेल के अभियान को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. रेलवे के विकास कार्य को इस तरह से रोकना उचित नहीं है.

रेलवे का अतिक्रमण रहेगा जारी: मंगलवार रेल प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ लोगों के विरोध को देख रेल प्रशासन ने फिलहाल अतिक्रमण कार्य को स्थगित कर दिया है. इस बारे में आसनसोल रेल डिवीजन के जनसंपर्क विभाग अधिकारी एस मंडल ने कहा कि लोगों का विरोध करना उचित नहीं है. कॉरिडोर निर्माण के लिए बस्ती हटाना जरूरी है. रेलवे प्रशासन का अतिक्रमण अभियान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत की जा रही है. इस तरीके के आंदोलन से रेल प्रशासन का अभियान बंद नहीं किया जा सकता है. अतिक्रमण अभियान जल्द ही दोबारा शुरू किया जाएगा.

रेल के अधीन हजारों लोगों का आशियाना छीनने का भय: उल्लेखनीय है कि विगत कुछ बरसों से दुर्गापुर के एवं वारिया स्टेशन के बीच में हजारों की संख्या में रेल जमीन पर बसी बस्ती को हटाने का रेल प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किया जा चुका है. रेलवे द्वारा नोटिस मिलने के बद क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों गरीब मजदूर वर्ग के लोगों एवम उनके परिवारों में दहशत व्याप्त हो गई है. बस्ती के लोगों को अपना घर छीन जाने का भय सताने लगा है. बस्ती के लोगों के पुनर्वासन की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस की ओर से पिछले कई वर्षों से आंदोलन जारी है. आंदोलन के मद्देनजर इस बार भी लोगों के सहयोग के लिए तृणमूल कांग्रेस ने बीड़ा उठाया है. तृणमूल के पूर्व विधायक विश्वनाथ पडियाल के नेतृत्व में रेलवे किनारे बसे बस्ती के लोगों को हटाने के पहले पुनर्वासन दिलाने की मांग की गई थी. इस बार भी विश्वनाथ पड़ियाल के नेतृत्व में जोरदार आंदोलन की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ अतिक्रमण मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी ,तृणमूल कांग्रेस एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टीयां राजनीतिक लाभ उठाने के फिराक में हैं. सूत्रों के मुताबिक दुर्गापुर के विपरीत बर्न स्टैंड के कपड़ा बाजार पट्टी, देशबंधु नगर, वारीया, माया बाजार ,विजय नगर, कोल डिपो, पाद्द पुकुर सहित कई बस्तियों में हजारों की संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते है. जो गरीबी रेखा के नीचे बसर करते है. मेहनत मजदूरी कर लोग कीसी तरह परिवार का भरण पोषण करते है . रेलवे प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव न्याय संगत है. लेकिन अतिक्रमण के पहले पुनर्वासन एवं मुआवजा देना संविधान के नियमो के अधीन है. लोगों का मांग है कि रेल प्रशासन को अतिक्रमण के पहले पुनर्वासन एवं मुआवजा देनी होगी.

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