कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को एक बार फिर इस मामले में पहले से गिरफ्तार प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के खास तापस मंडल से पूछताछ की है। वह निजाम पैलेस स्थित सीबीआई के दफ्तर आए हैं जहां उनका बयान रिकॉर्ड किया गया है। सीबीआई सूत्रों ने बताया है कि उनसे निजी बीएड और जीएलएड इंस्टिट्यूट के लेनदेन के दस्तावेज लिए गए हैं जिनसे माणिक रुपये की वसूली किया करते थे। प्रत्येक छात्र से पांच-पांच हजार रुपये की वसूली माणिक भट्टाचार्य करते थे जिसका हिस्सा तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भी जाया करता था। इसी एवज में इंस्टिट्यूट को मान्यता भी दी जाती थी और यहां पढ़ने वाले छात्रों से लाखों रुपये घूस लेकर उन्हें शिक्षक के तौर पर अवैध नौकरी दी गई थी। उसने सारे दस्तावेज जमा कराया है। इसके पहले गत तीन जनवरी को उनसे पूछताछ हुई थी। उस दिन उन्होंने कई सारी महत्वपूर्ण जानकारियां केंद्रीय एजेंसी को दी थी। इसके पहले ईडी भी तापस से पूछताछ कर चुकी है। उन्होंने दावा किया है कि माणिक भट्टाचार्य को उन्होंने कुल 21 करोड़ रुपये दिए हैं जो विभिन्न निजी बीएड कॉलेजों से वसूली की गई थी।
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100 करोड़ रुपये की हुई है वसूली : तापस
– बुधवार शाम 6:30 बजे के करीब सीबीआई पूछताछ के बाद बाहर निकले तापस मंडल ने मीडिया से भी बात की। उन्होंने खुद अपने मुंह से स्वीकार किया कि शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये की वसूली उनके जरिए हुई है। उन्होंने 21 करोड़ का हिसाब केंद्रीय एजेंसियों को दे दिया है।
उन्होंने यह भी दावा किया है कि हुगली में एक निजी कॉलेज के निदेशक और तृणमूल युवा का नेता कुंतल घोष ने 325 परीक्षार्थियों से 19 करोड़ की वसूली की है। बुधवार को कुंतल और तापस को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। तपस ने कहा कि उन्होंने सारी जानकारी केंद्रीय एजेंसी को दी है।
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तृणमूल ने झाड़ा पल्ला
– इधर तापस मंडल के इस बयान से सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है। परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी ने पहले ही यह रुख साफ किया है कि भ्रष्टाचार करने वालों से किसी तरह की कोई हमदर्दी नहीं है। कानून अपना काम करेगा।
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भाजपा ने उठाए सवाल
– इधर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि तापस मंडल ने आज मीडिया के सामने जो बात स्वीकारी है और सीधे तौर पर तृणमूल नेता का नाम उजागर किया है वह इस बात का एक बार फिर प्रमाण है कि शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार में ऊपर से लेकर निकले स्तर तक के तृणमूल के लोग शामिल रहे हैं। ममता बनर्जी को इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।