और 14 दिनों तक रहना होगा जेल में
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी को एक बार फिर कोर्ट ने और 14 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया है। बुधवार को पार्थ चटर्जी प्रेसीडेंसी जेल से और अर्पिता मुखर्जी अलीपुर महिला जेल से वर्चुअल जरिए से कोर्ट में पेश हुए। मामले की जब सुनवाई शुरू हुई तो पार्थ के अधिवक्ताओं ने उनकी जमानत के लिए भरपूर कोशिश की। दावा किया गया कि उनके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी है सांस लेने में दिक्कत हो रही है और कई अन्य उम्र जनित बीमारियां हैं। उन्हें रोज 16 तरह की दवाइयां खानी पड़ रही हैं। पार्थ के अधिवक्ताओं ने बताया कि ईडी की छापेमारी और बरामदगी में अभी तक पार्थ चटर्जी के आवास से कुछ भी गैरकानूनी बरामद नहीं हुआ है ना ही उनके घर से कोई एलआईसी का कागज मिला है। इसके अलावा जितनी फर्जी कंपनियों की जानकारी मिली है उसमें भी कहीं पार्थ की भागीदारी साबित नहीं हुई है। शारीरिक तौर पर वह बेहद कमजोर और बीमार होते जा रहे हैं इसलिए उन्हें जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
हालांकि ईडी के अधिवक्ता ने बताया कि अर्पिता और पार्थ चटर्जी के संयुक्त संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इससे साफ है कि अर्पिता पार्थ की बेहद खास रही है और अर्पिता के ठिकाने से करोड़ों रुपये की बरामदगी का सीधा संबंध पार्थ चटर्जी से है। इसके अलावा ईडी ने यह भी दावा किया कि अर्पिता के घर से जो 50 करोड़ रुपये नगदी, सोने चांदी के जेवर और अन्य गैरकानूनी सामान मिले हैं। उस बारे में उसने बताया है कि यह सारे पार्थ चटर्जी के हैं इसलिए इन्हें जमानत देने का कोई औचित्य नहीं है। अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि अगर दोनों जमानत पर रिहा होंगे तो न केवल साक्ष्यों को प्रभावित करेंगे बल्कि शिक्षक नियुक्ति में हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की परतें भी नहीं खुल पाएंगी। सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी ने अपने अधिवक्ता के जरिए यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होना चाहते हैं। यह उनका मौलिक अधिकार है। वर्चुअल जरिए से उनकी पेशी के बजाय उन्हें सीधे कोर्ट में पेश किया जाए। इधर ईडी के अधिवक्ता ने बताया कि पार्थ चटर्जी से संबंधित और 25 बैंक खातों की जानकारी मिली है। इसके अलावा 100 से अधिक बैंक खाते फिलहाल जांच के दायरे में हैं। जितनी फर्जी कंपनियां मिली हैं उनमें डमी निदेशक नियुक्त किए गए थे जिन्हें 15 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता था। इन सभी का संबंध पार्थ और अर्पिता से रहा है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पार्थ और अर्पिता और 14 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे। आवश्यकता पड़ने पर केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी उनसे पूछताछ कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले 42 दिनों से पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी जेल में हैं। अब उन्हें 14 सितंबर तक रहना होगा।