कोलकाता । श्री सिद्धिविनायक देवस्थानम में ब्रह्ममयी काली मन्दिर, परमहंस मठ एवम् मिशन के स्वामी परमात्मानंद गिरी महाराज ने भगवान श्रीगणेश के अलौकिक दर्शन कर पूजा – अर्चना की । स्वामी परमात्मानंद महाराज का स्वागत मंदिर के ट्रस्टी राजकुमार गोयनका, सुभाष मुरारका, उदय चौधरी एवम् कार्यकर्ताओं ने किया । सुभाष मुरारका ने तकरीबन 5 वर्ष पूर्व इमामी फाउंडेशन के समाजसेवी राधेश्याम अग्रवाल, राधेश्याम गोयनका एवम् ट्रस्टियों की धार्मिक निष्ठा से स्थापित श्री सिद्धिविनायक देवस्थानम की बढ़ती लोकप्रियता, भक्तों की धार्मिक निष्ठा एवम् परोपकार, शिक्षा – चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा कार्यों की जानकारी दी । स्वामी परमात्मानंद महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा वैदिक सनातन धर्म एवम् बंगाल की संस्कृति में समानता है । भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है । उन्होंने रामायण के माध्यम से आदर्शवादी जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया । कृष्ण प्रेम, भक्ति और ज्ञान के प्रतीक थे, और उन्हें लीलापुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है । उन्होंने भगवद्गीता के माध्यम से कर्मयोग और ज्ञानयोग का उपदेश दिया । रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं और विचारों से प्रेरित होकर उनके प्रमुख शिष्य स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 में की थी । यह एक परोपकारी और सेवाभावी संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव सेवा और वेदांत दर्शन का प्रचार करना है । स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस के विचारों को प्रचारित किया और उनकी शिक्षाओं के अनुसार रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन नामक दो जुड़े हुए संगठनों की स्थापना की । दोनों संगठन ‘मानव में ईश्वर की सेवा’ की भावना से मानव सेवा में संलग्न है । मिशन का मुख्य ध्येयवाक्य ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च’ है, जिसका अर्थ है ‘अपने मोक्ष के लिए और संसार के हित के लिये’ । धर्म का प्रमुख उद्देश्य मानव सेवा है । मन्दिर के संचालन में समाजसेवी सुशील गोयनका, प्रदीप नैयर, डी एन गुप्ता, बनवारीलाल चौधरी, गोपाल भालोटिया एवम् कार्यकर्ता सक्रिय हैं ।