फोर्ट विलियम का नया नाम विजय दुर्ग, भारत की सैन्य व सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम

कोलकाता, 27 फरवरी । भारत सरकार ने कोलकाता स्थित सेना के ऐतिहासिक पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ किया है। यह कदम देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करने और सैन्य पराक्रम को सम्मानित करने के प्रयासों का हिस्सा है। इस निर्णय के जरिए औपनिवेशिक काल की विरासत को हटाकर भारत की समृद्ध परंपराओं और वीरता को नई पहचान देने की कोशिश की गई है। इस निर्णय से भारत की सांस्कृतिक स्वतंत्रता, सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान को नई मजबूती मिलेगी, जो देश को एक आत्मनिर्भर, सशक्त और गौरवशाली भविष्य की ओर ले जाएगा।’विजय दुर्ग’ का अर्थ है ‘विजय का किला’, जो भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक उत्कृष्टता और वीरता का प्रतीक है। यह भारतीय सेना की पूर्वी कमान (ईस्टर्न कमांड) का मुख्यालय रहा है और यह भारत की रक्षा तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। नया नाम भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को सम्मान देने के साथ-साथ राष्ट्र की सैन्य शक्ति को मजबूत करने का संदेश देता है।
‘विजय’ शब्द भारतीय सेना की गौरवशाली विजय गाथाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें विशेष रूप से 1971 के भारत-पाक युद्ध का उल्लेख किया जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पूर्वी कमान के नेतृत्व में पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का गठन हुआ। हर साल दिसंबर में ‘विजय दिवस’ के रूप में इस विजय का उत्सव मनाया जाता है। इसी कारण सरकार ने इस किले का नाम ‘विजय दुर्ग’ रखने का निर्णय लिया, जिससे यह नाम भारतीय सैन्य इतिहास की इस महान जीत से सीधा जुड़ सके।
भारत ने स्वतंत्रता के बाद से औपनिवेशिक काल की छवि मिटाने और अपनी विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। फोर्ट विलियम का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत ने 1696 में किया था और इसका नाम इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर रखा गया था। इसे ब्रिटिश शासन का प्रतीक माना जाता रहा है।
राष्ट्रीयता और सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करने की पहलफोर्ट विलियम का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ करना सिर्फ प्रतीकात्मक बदलाव नहीं बल्कि यह भारत की खोई हुई विरासत को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। औपनिवेशिक काल में रखे गए कई नाम भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को नहीं दर्शाते। ऐसे में सरकार का यह निर्णय राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करता है और यह संदेश देता है कि भारत को अपनी संस्कृति, इतिहास और नायकों पर गर्व होना चाहिए।
यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ जैसी पहल से भी जुड़ा हुआ है, जिनका उद्देश्य स्वतंत्रता के बाद भारत की उपलब्धियों का उत्सव मनाना है। यह नाम परिवर्तन भारतीय गौरव और स्वाभिमान को दर्शाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से देखा जाए, न कि ब्रिटिश शासन के अवशेषों के रूप में।
महत्वपूर्ण योगदान’विजय दुर्ग’ न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत की सैन्य तैयारियों का भी प्रतीक है। पूर्वी कमान का यह मुख्यालय कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों का केंद्र रहा है, जिनमें शामिल हैं:
1962 का भारत-चीन युद्ध1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्रामपूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद विरोधी अभियान इन अभियानों में फोर्ट विलियम का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसे में इसका नाम ‘विजय दुर्ग’ करने से यह भारत की सैन्य परंपराओं और भविष्य की रक्षा तैयारियों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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