जाकिर हुसैन के कार्यालय और फैक्टरी पर छापा

 

कोलकाता, 19 फरवरी । तृणमूल कांग्रेस के विधायक और कारोबारी जाकिर हुसैन के दफ्तर और फैक्टरी पर केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग ने छापा मारा। यह कार्रवाई मंगलवार शाम चार बजे शुरू हुई और लगभग साढ़े 10 घंटे तक चली। आरोप है कि जाकिर हुसैन के व्यापार में भारी मात्रा में नकद लेनदेन हुआ, जिससे कर चोरी हुई। हालांकि, विधायक ने जांच में पूरा सहयोग करने का दावा किया और कहा कि उन्हें केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा है।
सीजीएसटी विभाग के आठ अधिकारियों की टीम ने सबसे पहले जाकिर हुसैन के औरंगाबाद स्थित प्रोडक्शन हाउस के कार्यालय में छापा मारा। केंद्रीय बलों के जवानों ने पूरे परिसर को घेर लिया। एक घंटे की तलाशी के बाद टीम ने उनके अन्य दो कार्यालयों में भी छानबीन की। इस दौरान कर्मचारियों से पूछताछ की गई और मुख्य अकाउंटेंट को करीब साढ़े तीन घंटे तक सवालों के घेरे में रखा गया।

जांच टीम ने विधायक से भी बातचीत की। देर रात उन्होंने अपने घर का संक्षिप्त दौरा किया, लेकिन कुछ समय बाद वापस कार्यालय पहुंच गए। इस दौरान वे अपने साथ कुछ दस्तावेज भी ले गए। केंद्रीय अधिकारियों ने उनकी बैंक स्टेटमेंट और अन्य वित्तीय लेनदेन की भी जांच की।

बुधवार सुबह विधायक जाकिर हुसैन ने कहा कि उन्होंने पूरी जांच में सहयोग किया और अधिकारियों के सभी सवालों के जवाब दिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अचानक की गई इस कार्रवाई से उनके व्यवसाय को नुकसान हुआ है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कहा कि मुझे केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा है।

विधायक ने कहा कि मैं कानून के दायरे में रहकर कारोबार करता हूं। जीएसटी और आयकर का भुगतान करता हूं। मेरी फैक्टरी में करीब 30 हजार मजदूर काम करते हैं। ऐसे में अधिकारियों को सिर्फ कानून नहीं, बल्कि मजदूरों के रोजगार का भी ध्यान रखना चाहिए।

तृणमूल ने लगाया राजनीतिक साजिश का आरोप

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के जिला नेताओं ने इस छापेमारी को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी नेता कनाईचंद्र मंडल ने कहा कि तृणमूल करने के कारण जाकिर हुसैन को निशाना बनाया जा रहा है। यह भाजपा की सोची-समझी चाल है, जिससे हमारी छवि खराब की जाए। लेकिन जनता इसका जवाब देगी।

वहीं, जाकिर हुसैन ने इसे राजनीति से जोड़ने से इनकार करते हुए कहा कि अगर जांच एजेंसियां आना चाहती हैं, तो आएं। लेकिन अचानक छापा मारने की बजाय पहले से सूचना दें, ताकि मजदूरों में डर न फैले।

इस छापेमारी के बाद जाकिर हुसैन के व्यापार और राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अब देखना होगा कि जांच में क्या निकलकर आता है।

 

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