आसनसोल शिल्पांचल बना कोयला बालू लोहा के लूट का मुख्य अड्डा, विरोध करने वालों पर दर्ज होंगे झूठे मुकदमे

लुटे गए कोयला बालू एवं लोहा की मोटी रकम पहुँचती है ऊपर महल

शिल्पांचल लुटता रहेगा जनता देखती रहेगी

रानीगंज। पश्चिम बंगाल में माकपा के राज के बाद तृणमूल कांग्रेस की सरकार आई। तृणमूल कांग्रेस ने आते ही आसनसोल शिल्पांचल के कोयला साम्राज्य को अपने गिरफ्त में ले लिया। उस समय जो भी कोयला माफिया सक्रिय थे उनके हाथों से कंट्रोल छिन गया परंतु जो मुख्य किंगपिन था उसके हाथ से साम्राज्य निकालने में कुछ समय लगा। उस समय तक किंगपिन तृणमूल कांग्रेस के गिरफ्त में था एवं ऊपरी महल तक मोटा चढ़ावा जाता रहा। इसी बीच केंद्र सरकार की नजर पड़ी एवं सीबीआई ने राज्य में कोयला माफियाओं पर कार्यवाही शुरू की। जिसमें लाला का नाम आया। कई कोयला माफिया सीबीआई की हत्थे चढे। लाला की लाल डायरी सीबीआई के हाथ लगी एवं किसको कितना चढ़ावा जाता था वह सब लाल डायरी के माध्यम से सीबीआई को जानकारी हुई। इस मामले में अब तक कार्रवाई चल रही है।
इस बीच कोयला के साथ-साथ इलाके के विभिन्न नदी घाटों से बालू खनन का अवैध खेल भी शुरू हो गया था। नदी की सफाई के नाम पर दामोदर तथा अजय नदी घाट से बालू निकलने लगा एवं सैकड़ो ट्रकों के माध्यम से प्रतिदिन बालू विभिन्न बाजारों में जाने लगा। इस खेल में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार की भी मिली भगत थी। इसे लेकर मीडिया में खूब खबरें उछली।  इन अवैध खेलों के विषय में लगातार कई अखबार प्रमुखता से खबरें प्रकाशित करता रहा। अवैध कोयला के खेल में पहले अवैध कोयला खदानों से कोयला निकलता था परंतु बाद में ज्यादा लालच एवं हर तबके तक मोटा चढ़ावा देने की वजह से ईसीएल के विभिन्न कोलियरियों, खुले खदानों एवं ईसीएल के डिपो से डायरेक्ट कोयला चोरी होने लगा। खुले खदानों से स्थानीय कोयला चोरों द्वारा स्थानीय नेताओं एवं पुलिस के सहयोग से बड़े पैमाने पर कोयला चोरी होती है।  जिसमें ईसीएल अधिकारियों के साथ-साथ पक्ष एवं विपक्ष के नेता, पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। इन मामलों में पुलिस अधिकारी भी क्या करें उन्हें नौकरी करनी है तथा अपनी नौकरी बचाने भी है। बड़े अधिकारियों एवं नेताओं की वजह से पुलिस इसमें कुछ नहीं कर पाती। वहीं लिफ्टिंग के खेल में विभिन्न कोलियरियों से डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) के माध्यम से ट्रकों में लिफ्टिंग कराई जाती है।  जिसमें खेल होता है। ट्रकों में प्रतिदिन 1600 रूपये तक की रंगदारी वसूल होती थी। बिना रंगदारी दिए ट्रकों में कोयला लोड नहीं होने दिया जाता था। जिन्हें भी लिफ्टिंग का ठेका मिलता है उन्हें मोटी रकम ऊपरी महल तक पहुंचानी होती है इसके अलावे स्थानीय नेता पुलिस प्रशासन एवं जहां से बाधा उत्पन्न होने की आशंका होती है उन तक चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इसके अलावे एक नया खेल चोरी चुपके चल रहा था जो कि कुछ दिन पूर्व पर्दाफाश हुआ। डिओ लिफ्टिंग की आड़ में ईसीएल अधिकारियों, ईसीएल सुरक्षा गार्ड्स पुलिस एवं नेताओं की मिली भगत से लोडिंग प्वाइंट से डायरेक्ट कोयला चोरी की भी खबरें आई। इस मामले में सबसे ज्यादा ईसीएल के अधिकारियों की फजीहत हुई। सबसे ज्यादा रकम ईसीएल के विभिन्न एरिया के उच्च अधिकारियों को पहुंचती है। इसी बीच कोयला के लिफ्टिंग के कारोबार में खबर की पुष्टि हो गई जब बुधवार को ईसीएल के बंकोला एरिया के रेलवे साइडिंग में लिफ्टिंग के खेल में 3950 की रंगदारी का मामला सामने आया। रंगदारी नहीं देने पर लोडिंग रोक दी गई। जिनकी खबरें गुरुवार को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई। इस खेल में सत्ताधारी बड़े नेताओं का मुख्य रोल रहता है। अब इस खेल में ऊपरी महल के नेताओं की नजर पड़ चुकी है। जिसकी वजह से पुलिस अधिकारियों एवं कई नेताओं पर कार्रवाई देखने को मिली। उसके बाद ही इस खेल पर अभी ब्रेक लगा हुआ है। दिसंबर महीने के 22 तारीख से सभी कार्य बंद हैं। हालांकि चोरी चुपके अभी भी कई जगहों पर चोरी का खेल चल रहा है।
इसी बीच कोयला के लिफ्टिंग के कारोबार में खबर की पुष्टि हो गई जब बुधवार को ईसीएल के बंकोला एरिया के रेलवे साइडिंग में लिफ्टिंग के खेल में 3950 की रंगदारी का मामला सामने आया। रंगदारी नहीं देने पर लोडिंग रोक दी गई। जिनकी खबरें गुरुवार को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई। इसी बीच खबर है कि पूरे पश्चिम बंगाल में अब कोयला बालू एवं लोहा का एक ही सिंडिकेट चलेगा। जिसे लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। दो बार बैठक हो चुकी है बैठक में कोयला व्यवसाय के पुराने खिलाड़ियों को तरजीह दी गई है। वे लोग बैठक में शामिल हुए जिसमें आसनसोल के मंडल एवं रानीगंज के नारायण का नाम चर्चा में है। इसके अलावे शिल्पांचल के अपने आप को सबसे बड़ा समाजसेवी कहने वाला एक व्यवसाई  का नाम सबसे आगे था। जिसे दबंग विधायक का सपोर्ट मिला था। परंतु शिल्पांचल के सबसे बड़े बॉस नहीं चाहते कि इन्हें कमान मिले। जिसकी वजह से समाजसेवी को पीछे हटना पड़ा। हालांकि खबर यह है कि कोयला के पुराने खिलाड़ियों को सिंडिकेट में जगह दी गई है इनकी देखरेख में कोयला बालू एवं लोहा का सिंडिकेट चलेगा परंतु मुख्य किंग पिन के लिए एक नए चेहरे की तलाश है खबर है कि नए चेहरे की तलाश भी हो चुकी है वह बिग बॉस का करीबी बताया जा रहा है। सिर्फ नाम आना बाकी है। सूत्रों का कहना है कि 15 जनवरी के बाद से लोहा कोयला एवं बालू का सिंडिकेट पूरी तरह से लागू हो जाएगा एवं खबर है कि जो भी सिंडिकेट चलाएगा उसे 50 से 60 खोखा देने होंगे जिसमें दिल्ली को 20 से 30 राज्य के ऊपरी महल को 10 से 20 एवं बाकी खर्च लगभग 10 खोखा तक होंगे।
इन बातों से एक बात साफ है कि पूरे राज्य में शिल्पांचल से काली कमाई सबसे ज्यादा जाती है। जिसकी वजह से ऊपरी महल के बड़े नेता की नजर शिल्पांचल पर ज्यादा रहती है। या ऐसा कहे कि अभी शिल्पांचल ही पूरे पश्चिम बंगाल को चला रहा है तो यह बात गलत नहीं होगी। इन्हीं कारणों की वजह से शिल्पांचल के जो बड़े नेता हैं उनकी राज्य में तूती बोलती है। बिना इनको लिए राज्य को चलाना ऊपरी महल के लिए संभव नहीं है। अब आगे देखना यह है कि यह खेल शुरू होता है या फिर इसमें और भी कोई बाधा आती है। हालांकि एक बात तो तय है कि अब निचले स्तर के नेताओं एवं अधिकारियों कि नहीं चलेगी सारा खेल दिल्ली एवं कोलकाता से ही संचालित होगा।

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