हुगली लोकसभा सीट जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस में शुरू हुआ इस्तीफों का सिलसिला

हुगली । लोकसभा चुनाव में पूरे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की बड़ी जीत हुई है। इसी क्रम में हुगली लोकसभा सीट भी तृणमूल कांग्रेस जीत गई। लेकिन इसके बावजूद यहां एक के बाद एक तृणमूल के प्रधानों और उप प्रधानों के इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू हो गया है। तृणमूल विधायक असित मजूमदार का दावा है कि जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है उनके पास विवेक है। इसलिए सभी ने इस्तीफा दे दिया।

दरअसल, हुगली लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार रचना बनर्जी ने 76,853 वोटों से जीत हासिल की है। रचना बनर्जी हुगली सीट तो जीत गईं लेकिन हुगली की सात विधानसभा सीटों में से तीन पर उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा।

चुंचूड़ा विधानसभा में उनके हार का अंतर सबसे ज्यादा है। चुंचूड़ा के मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवार लॉकेट चट्टोपाध्याय को रचना बनर्जी से 8,284 ज्यादा वोट दिए। ऐसे में भले ही पार्टी का उम्मीदवार जीत गई, लेकिन पूरे चुंचूड़ा विधानसभा में उत्साह काफी कम हो गया है।

चुंचूड़ा के विधायक असित मजूमदार ने हार के कारणों की समीक्षा के लिए चुंचूड़ा विधानसभा के अंतर्गत आने वाले हुगली-चुंचूड़ा नगरपालिका, बंडेल, देवानंदपुर, कोडालिया-1 और कोडालिया-2 ग्राम पंचायतों के प्रधान, उप प्रधान और पार्षदों के साथ बैठक की। तृणमूल सूत्रों के मुताबिक, विधायक ने बैठक में मौजूद सभी लोगों पर अपना गुस्सा जाहिर किया।

इसके बाद शुक्रवार को संबंधित पंचायतों के प्रमुख उपप्रमुखों ने मोगरा बीडीओ कार्यालय जाकर इस्तीफा दे दिया। कोडलिया-द्वितीय ग्राम पंचायत की उपप्रधान सुचेता मन्ना पाल ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उन्होंने पार्टी के दबाव से इनकार किया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए इस्तीफा दिया है।

विधायक असित मजूमदार ने कहा कि चार पंचायत प्रधानों और उप प्रधानों ने इस्तीफा दे दिया है। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं क्योंकि उनके पास विवेक है। उनके रहते पार्टी हार गयी। लोगों ने भाजपा को वोट दिया. मैं इसकी समीक्षा करूंगा कि क्यों ऐसा हुआ।

हालांकि, कोदलिया 1, देवानंदपुर व बंदेल ग्राम पंचायत के प्रधान और उप प्रधान इस संबंध में मुंह नहीं खोलना चाहते हैं। चुंचूड़ा नगर पालिका के वार्ड नंबर छह के तृणमूल पार्षद झंटू विश्वास ने शिकायत की कि यह लोगों, खासकर पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्षदों के साथ खराब व्यवहार का नतीजा है। विधायक पार्षदों के साथ कुत्ते-बकरी जैसा व्यवहार करते हैं। इसीलिए यहां ऐसी परिस्थिति हुई है।

 

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