अहिंसा और प्रेम ध्यान की छायायें है, करूणा ऐसे ही आती हैं ध्यान के पीछे जैसे बैलगाड़ी चलती है और उसके चांको के निशान पीछे छूटते जाते है, अनिवार्य है, दुनिया मे इतना दुख इतनी पीढा , इतना शोषण मै केसे ध्यान करू, कम से कम तुम तो ध्यान कर लो , एक व्यक्ति जागता हैं , तो दूसरों को जगाने की कोशिश करता है , एक कली खिलती है तो दूसरी कलियाँ भी खिल उठती है जैसे भोर होने पर चिडिय़ा चहकने लगती है. सब दल खिल जाते है मुरझाई कलियाँ प्रस्फुटित हो जाती है ऐसे ही धर्म का प्रकाश होता है जब यह सूर्य अन्तःहकरण मे खिलता है तो मन का अंधकार दूर होकर समाज ,देश और राष्ट्र को गतिमान करता है यह विचार पडित गौरांगी गौरी जी ने अपने उद्गार मे व्यक्त कर अपने प्रवचन मे दिये है ताकि समाज मे जाग्रति पैदा हो और समाज देश मे धर्म का प्रकाश आध्यात्म की किरणे प्रस्फुटित होकर पृथ्वी पर व्याप्त होकर नये जीवन को साकार कर सके
मानस नगर लखनऊ में गायी जा रही नव दिवसीय श्रीरामकथा के प्रथम दिवस पर श्रीधाम अयोध्या जी पधारी अन्तर्राष्ट्रीय कथा प्रवाचिका पूज्या गौरांगी गौरी जी ने कथा के माहात्म्य को बताया, उन्होंने कहा कथा सुनने से जीवन की व्यथा समाप्त हो जाती हैं,रामचरित मानस मनुष्य को जीना सिखाती हैं, जीवन जीने का ढंग बताती हैं, जीव को विषयों से मुक्ति दिलाती हैं, देवी जी ने गुरु की महिमा का अद्भुत वर्णन किया, कहा की गुरु के आदेश का पालन करने से जीव को सब कुछ प्राप्त हो जाता हैं, सत्संग की महिमा का वर्णन किया और अंत में भगबान के नाम की अद्भुत महिमा बताई, कहा इस कलिकाल में भगवान का नाम ही एक मात्रा साधन हैं इस भव सागर से पार होने का, इसलिए नाम sankirtan करें, इस अवसर पर वीरेंदर सिंह जी, श्यामू द्विवेदी, रजनीश अवस्थी, रामप्रीत शर्मा, नीतू बाजपेयी सभी कमेटी के सदस्य गण उपस्थित रहे