अभिनव पहल:चिरेका महिला कल्याण संगठन ने मनाया ‘वन महोत्सव’


(पर्यावरण जागृति के प्रति किया ‘आलिंगन’ और ‘बीज बम ‘छिड़काव कार्यक्रम का आयोजन)

चितरंजन। चिरेका महिला कल्याण संगठन ने वन तथा हरियाली का संदेश जन जन तक फ़ैलाने और पर्यावरण के प्रति आध्यात्मिकता की भावना विकसित करने के लिए इस वर्ष ‘वन महोत्सव’ के रूप में एक अनूठी पहल की है। इस समग्र दृष्टिकोण के साथ, चिरेका महिला कल्याण संगठन द्वारा संचालित दो विद्यालयों, शिशु विहार और आशा किरण के बच्चों और शिक्षकों ने एक अभिनव पहल ‘आलिंगन’ को उत्साहपूर्वक मनाया। डॉ.आभाञ्जलि शतपथी,अध्यक्षा, चिरेका महिला कल्याण संगठन के दूरदर्शी सोच और नेतृत्व में शुरू की गई इस अनूठी और नेक पहल ‘आलिंगन’ ने हमारे पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो सामान्य वृक्षारोपण अभियान से अलग और चमत्कारिक है, यह अभियान पर्यावरण के प्रत्येक तत्व को अधिक गहन आध्यात्मिक सार के साथ जोड़ता है। डॉ. आभाञ्जलि शतपथी, अध्यक्षा, चिरेका महिला कल्याण संगठन ने ‘ आलिंगन’ कार्यक्रम के सामाजिक-आध्यात्मिक पहलू को समझाते हुए कहा की, “प्रकृति हमें प्रचुर उपहार प्रदान करती है और हमें अमूल्य सबक भी सिखाती है। प्रकृति हमें सहनशीलता, निस्वार्थता, देखभाल, साझा करना, प्रेम ,शांति और पवित्रता जैसी नैतिकता सिखाता है। इसलिए, अब हमसब की बारी है कि हम न केवल इसे नुकसान होने से बचाएं, बल्कि इन सभी गुणकारी मूल्यों को अपनी नई पीढ़ी के बच्चों में भी विकसित करें। इस समग्र दृष्टिकोण के साथ, ‘आलिंगन’ लॉन्च किया गया है, जो प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा और उसकी अटूट उदारता के संकेत के रूप में इसे दर्शाता है। इसका उद्देश्य आपसी सद्भाव की भावना विकसित करना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी और पर्यावरणीय नैतिकता को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में आशा किरण एवं शिशु विहार दोनों विद्यालयों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और पेड़ों को गले लगाकर पेड़ों के रक्षक बनने का अटूट संकल्प लिया।


इसके अतिरिक्त वृक्षारोपण कार्य का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से छात्र-छात्राओं द्वारा चिरेका महिला कल्याण संगठन सदस्याओं और विद्यालय शिक्षकों के मार्ग दर्शन में नए तरीके से आयोजित कार्यक्रम ‘बीज बम’ छिड़काव कार्यक्रम में भाग लिया। चिरेका महिला कल्याण संगठन की ये पहल पर्यावरणीय चेतना के प्रति उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती हैं। जो वन विस्तारीकरण और पर्यावरण-आध्यात्मवाद के पोषण क्षेत्र में भी मील का पत्थर साबित होगी।

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