कोलकाता, 3 जुलाई । पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व अगले पांच सालों में नहीं रहेगा। पार्टी ने अपना राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा पहले ही खो दिया है और अब राजनीतिक तौर पर भी खत्म हो जाएगी। यह कहना है प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का। कोलकाता सांराश को उन्होंने पंचायत चुनाव को केंद्र पर विशेष साक्षात्कार दिया है। पेश है उनसे बातचीत के खास अंश।
प्रश्न :: 1952 के बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि भाजपा अपने दम पर किसी को राज्यसभा भेजेगी। इसे आप किस रूप में देख रहे हैं?
उत्तर : यह निश्चित तौर पर बंगाल भाजपा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है कि 50 के दशक के बाद आज पार्टी इतनी मजबूत हो गई है कि अपने दम पर हम बंगाल से राज्यसभा के लिए किसी को भेजेंगे। हम लोगों ने चार पांच लोगों का नाम तय करने का निर्णय लिया है। बंगाल भाजपा के शीर्ष नेता एक साथ बैठेंगे। ऐसे लोगों के नामों की सूची बनाकर दिल्ली भेजी जाएगी जहां से किसी एक नाम पर सहमति बनेगी। यह भी हो सकता है कि एक के बजाय दो लोगों को हम लोग राज्यसभा भेजें। वैसे तो हमारी विधायकों की संख्या के मुताबिक क्षमता केवल एक व्यक्ति को राज्यसभा भेजने की है लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विधायकों में अंदर खाने बहुत गुटबाजी और नाराजगी है। इसलिए बहुत हद तक संभव है कि हमारे दूसरे उम्मीदवार को भी तृणमूल के लोग समर्थन दे दें।
प्रश्न : पंचायत चुनाव में मतदान केंद्रों के अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं करने का फैसला आयोग ने लिया है। इसे आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तर : चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ पार्टी हाई कोर्ट जाएगी। यह पूरा बंगाल जानता है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने 80 हजार से अधिक केंद्रीय बलों के जवानों की तैनाती चुनाव की सुरक्षा के लिए करने का आदेश दिया है। जाहिर सी बात है चुनाव की सुरक्षा का मतलब मतदान केंद्रों की सुरक्षा होगी। लेकिन चुनाव आयोग ऐसे फैसले ले रहा है जो निराशाजनक है। हकीकत यह है कि राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा केवल मोहरा भर हैंं। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चला रही हैं और उन्हीं के आदेश पर सब कुछ हो रहा है।
प्रश्न : इस बार पंचायत चुनाव को लोकसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। इसमें पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा?
उत्तर : निश्चित तौर पर पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा अच्छा रहने वाला है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने जमीनी स्तर पर काम किया है। केंद्रीय योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया गया है। 39 लाख से अधिक लोगों के घर बनाए गए हैं और राशन योजना के तहत पूरे महामारी काल में लोगों को मुफ्त में राशन उपलब्ध करवाया गया है। इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी ने अपना जो घोषणा पत्र जारी किया है उसमें भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत गठित करने का आश्वासन दिया है जो निश्चित तौर पर बंगाल के लोगों को अच्छा लगेगा। देखिए भारतीय जनता पार्टी आज बंगाल की राजनीति में सबसे बड़ा फैक्टर है। यही वजह है कि 2011 में सत्ता में आने के बाद से आज तक ममता बनर्जी ने कभी भी पंचायत चुनाव में प्रचार नहीं किया था लेकिन इस बार उन्हें सीधे तौर पर चुनाव प्रचार के लिए उतरना पड़ा है। यह पार्टी से डर की वजह से है।
प्रश्न : पंचायत चुनाव हिंसा को आप किस रूप में देखते हैं और इसे रोकने के लिए क्या कुछ कारगर कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर : पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा निश्चित तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के डर को दिखाने वाली है। जब आप किसी से संवैधानिक तरीके से नहीं लड़ सकते तो हिंसा का सहारा लेते हैं। जब ममता बनर्जी की सरकार है और वह बार-बार दावा करती हैं कि अच्छा काम कर रही हैं तो उन्हें और उनकी पार्टी के लोगों को हिंसा करने की क्यों जरूरत पड़ गई है? क्यों पुलिस और प्रशासन सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरह काम करने पर तुला हुआ है? जाहिर सी बात है कि उन्हें अपने आप पर भरोसा नहीं और लोग भी यह बात समझते हैं।
प्रश्न : पंचायत चुनाव के बाद लोकसभा का चुनाव है और विपक्ष एकजुट हो रहा है। भाजपा इसके काट के तौर पर क्या कुछ करेगी?
उत्तर : देखिए विपक्ष की एकजुटता कोई राजनीतिक एकजुटता है ही नहीं। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल यह सब अपने अपने परिवार को बचाने के लिए एक साथ आए हैं। ये सारे भ्रष्टाचारी हैं। सभी के खिलाफ जांच चल रही है। सभी ने लोगों के रुपये लूटे हैं। तो जाहिर सी बात है एक इमानदार प्रधानमंत्री को हटाने के लिए उन्हें एकजुट होना ही पड़ेगा। लेकिन इसका कोई लाभ होने वाला नहीं है। भाजपा के पक्ष में जनता एकजुट है। 2024 में पार्टी पहले के हर एक चुनाव के मुकाबले ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करेगी।