लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के करीब 100 मौजूदा विधायकों का पत्ता कट सकता है. भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड आगामी यूपी चुनावों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए आखिरी फैसला लेने के लिए इस सप्ताह बैठक करने वाला है. सूत्रों की मानें तो इस बार अधिक संख्या में मौजूदा विधायकों का पत्ता कटने वाला है, क्योंकि भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में ज्यादातर लोग इसी पक्ष में दिखे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के अन्य नेता पश्चिमी यूपी के लिए पहले दो चरणों के चुनाव के लिए अपनी सिफारिशों के साथ आज यानी मंगलवार को दिल्ली पहुंचने वाले हैं.
इससे पहले सोमवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की बैठक हुई. इस बैठक में प्रत्याशियों के नाम को लेकर मंथन किया गया, जिसमें मौजूदा विधायकों के भविष्य पर भी लोगों ने अपनी-अपनी राय रखी. सूत्रों की मानें तो मौजूदा विधायकों में से तकरीबन 25 फीसदी चेहरे बदले जा सकते हैं. हालांकि, इसका फाइनल फैसला भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में ही होगी, जो उम्मीद है कि इसी सप्ताह होगी. इसमें पहले, दूसरे और तीसरे चरण के प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा होगी.
फिलहाल, लखनऊ के बाद अब आज यानी मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय नेताओं यानी कोर ग्रुप की बैठक होगी. इस बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल चर्चा होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ अन्य सीनियर नेता भी शामिल होंगे. पहले खबर थी कि जेपी नड्डा भी इसमें शामिल होंगे, मगर उनके कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से उनके शामिल होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि, इस बैठक में यूपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह समेत कई नेता शामिल होंगे.
भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि कई विधायकों के खिलाफ असंतोष की लहर से पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है और उन्हीं विधायकों पर दांव लगाने से जीतने वाली सीट भी हाथ से जा सकती है. माना जा रहा है कि भाजपा के करीब 100 मौजूदा विधायकों के भाग्य पर अभी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि इन्हें लेकर निगेटिव फीडबैक आए हैं. यहां ध्यान देने वाली बात होगी कि अलग-अलग राज्यों से पदाधिकारियों को बुलाकर भारतीय जनता पार्टी ने हर सीटों का अपना सर्वे कराया है और मौजूदा विधायकों को लेकर भी लोगों से लेकर स्थानीय नेताओं तक से राय ली है।
टीओआई के मुताबिक, भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि अलोकप्रिय विधायकों को हटाने से पार्टी को योगी सरकार के काम की सराहना का पूरा लाभ मिलेगा. भाजपा के भीतर के सूत्र राज्य के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में 2017 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए आश्वस्त हैं. हालांकि, भाजपा के पंडित 100 से अधिक मौजूदा विधायकों के भविष्य के बारे में अधिक चिंतित हैं, जिनकी नकारात्मक समीक्षा की गई है. अब देखने वाली बात होगी कि फाइनल चर्चा में किन-किन विधायकों पर गाज गिरती है.