वाराणसी । वाराणसी में शारदीय नवरात्र और तीन दिवसीय दुर्गा पूजा की तैयारियो ंने जोर पकड़ लिया है। पंडालों में कारीगर रात दिन काम कर रहे हैं। जैसे -जैसे पितृ पक्ष अन्तिम पायदान की ओर बढ़ रहा है। वैसे-वैसे पंडाल भी आकार लेने लगे हैं।
पूजा समितियों के पदाधिकारी क्षेत्रीय युवाओं के साथ पंडालों को भव्यतमरूप देने के लिए चंदा उगाही में जुट गये हैं। वैश्विक महामारी कोविड के चलते पूरे दो साल बाद पूजा पंडालों को भव्य बनाने के लिए पदाधिकारी कारीगरों के कार्य पर भी निगरानी कर रहे हैं।
इस बार पूजा पंडालों में श्री काशी विश्वनाथ धाम की अनुकृति भी दिखेगी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के तर्ज पर नई सड़क स्थित सनातन धर्म इण्टर कालेज का पूजा पंडाल बन रहा है। पंडाल में भी काशी विश्वनाथ मंदिर के तर्ज पर श्रद्धालु गेट नम्बर 4 से प्रवेश करेंगे। सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होगी। केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलकराज मिश्र के अनुसार शारदीय नवरात्र में काशी में मिनी बंगाल का नजारा दिखता है। पूजा समितियां भव्य दुर्गा पूजन की तैयारियां कर रही है। वाराणसी में तीन सौ पूजा पंडाल सजेंगे। टेंट लगाने के साथ ही पंडाल को आकार दिया जा रहा है ।
बताते चले शारदीय नवरात्र इस बार 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। काशी में शारदीय नवरात्र में नौ दुर्गा पूजन का विधान है। पहले दिन अलईपुर स्थित मां शैलपुत्री के पूजन का विधान है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी ,तीसरे दिन मां चंद्रघंटा , चैथे दिन दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठवें दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी, मां अन्नूपर्णा, नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।
इस साल शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा का वाहन हाथी है। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आयेंगी। माना जाता है कि हाथी पर सवार होकर मां का आना बेहद ही शुभ है। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वह अपने साथ सुख समृद्धि और खुशियां लेकर आती हैं। मान्यता है कि नवरात्रि की शुरूआत रविवार या सोमवार से होती है तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। खास बात यह है कि माता रानी हाथी पर ही सवार होकर प्रस्थान भी करेंगी।