जन्माष्टमी में भूलकर भी नहीं करें ये काम, देखें पूजा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में काफी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद (भादों) माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान कृष्ण की याद में और उनकी कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए भक्त हर साल भादों कृष्ण अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं। पंचांग के अनुसार 18 अगस्त को रात के 09 बजकर 21 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो रही है, जो अगले दिन 19 अगस्त शुक्रवार को रात के 10 बजकर 59 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में इस बार जन्माष्टमी दो दिन 18 अगस्त और 19 अगस्त को मनाई जा रही।

5249वां कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा
पंचांगों के आधार पर कहा जा रहा है  कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को 5248 वर्ष हो गए हैं। इस साल भगवान श्री कृष्ण का 5249वां जन्मोत्सव है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, द्वापर युग में मथुरा पुरी में भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मध्य रात 12:00 बजे भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।

जन्माष्टमी पर बन रहें ये 8 शुभ योग
भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 19 अगस्त 2022 को मनाना बेहद शुभ और अच्छा रहेगा। पंचांग के मुताबिक, इस जन्माष्टमी पर 8 तरह का शुभ योग भी बन रहा है। जिसमें महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव, छत्र, कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति योग शामिल है। पूजा की दृष्टि से यह काफी शुभ फलदायी होते हैं।

जन्माष्टमी 2022 व्रत पूजा का मुहूर्त
इस साल आज जन्माष्टमी पर रात 12 बजकर 03 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक नीशीथ काल रहेगा। यानी भगवान श्री कृष्ण की मध्यरात्रि पूजा के लिए 44 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान कृष्ण की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी होगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि  इस साल जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा के लिए 44 मिनट का विशेष मुहूर्त बन रहा है।

जन्माष्टमी 2022 का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन व्रत करने और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से वे भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं। उनकी कृपा से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। भक्तों के हर काम सफल होते है। घर परिवार में सुख समृद्धि आती है।

जन्माष्टमी 2022 चौघड़िया 
अभिजीत मुहूर्त : आज 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक
अमृत काल : आज 18 अगस्त को शाम 06 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक
धुव्र योग : आज 18 अगस्त को रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक

कैसे मनाएं श्री कृष्ण जन्माष्टमी?
भक्त जन्माष्टमी के दिन उपवास रखते हैं। व्रत के दौरान फलाहार किया जा सकता है। रात में 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार बाल गोपाल का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें गंगा जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाते हैं। अब फूल माला अर्पित कर धूप-दीप जलते हैं और उनका नमन वंदन करते हैं। उन्हें दूध-दही, मक्खन आदि अर्पित करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित करते हैं।

जन्माष्टमी पर न करें ये काम
श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन तुलसी के पते न तोड़ें।
जन्माष्टमी व्रत के दिन व्रत नहीं भी रख रहें है तो भी चावल नहीं खाना चाहिए।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भोजन में लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करनी चाहिए।
इस दिन भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन गाय एवं बछड़े को भूलकर भी न परेशान करें नहीं तो भगवान श्री कृष्ण नाराज हो जायेंगे।

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