“कैसे रुकेगा समुद्र का बढ़ता जल स्तर”


क्रांति कुमार पाठक
———————–
धरती पर अथाह जल के स्त्रोत अंटार्कटिका के हिमनद थवेट्स हैं और इसमें दरार आना शुरू हो गया है। अगले पांच साल में यह हिमनद टूट जाएगा, जिससे समुद्रों का जल स्तर 65 इंच तक बढ़ जाएगा। इस कारण मुंबई, कोलकाता जैसे दुनिया के तटवर्ती शहर के किनारे वाले हिस्से टूट सकते हैं। यह हिमनद 170,312 किलोमीटर लंबा है जो अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के बराबर है।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस ‘थवेट्स’ हिमनद में आ रही दरार की गति बहुत ज्यादा है। इस बर्फ से निकला पानी वैश्विक स्तर पर समुद्र मे जलस्तर में कुल बढ़ोत्तरी का चार फीसद होगा। उनके मुताबिक, समुद्र का गर्म होता पानी थवेट्स हिमनद की पकड़ को अंटार्कटिका से कमजोर कर रहा है। इससे हिमनद की सतह पर दरार आ रही है। इस संबंध में उपग्रह से मिले आंकड़ों और तस्वीरों का अमेरिका की जिओफिजिकल यूनिवर्सिटी में विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि हिमनद में क‌ई विशाल और तिरछी दरारें हैं। शोधकर्ताओं में से एक प्रोफेसर टेड स्काबोस ने कहा, ‘हिमनद के मोर्चे पर संभवतः एक दशक से भी कम समय में बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
इस शोध को करने वाले ओरेगांव स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध दल के मुखिया इरिन पेट्टटि ने कहा कि जैसे कार के आगे के शीशे में हल्का सा झटका लगने पर वह क‌ई टुकड़ों में बंट जाता है, कुछ उसी तरह से यहां भी है। उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में तीन गुना रफ्तार से तेजी आएगी। यही नहीं इस हिमनद के टूटने के बाद और ज्यादा हिमनद अंटार्कटिका से अलग होंगे। एक शोध के मुताबिक 1980 के दशक से लेकर अब तक कम से कम छह सौ अरब टन बर्फ नष्ट हो चुकी है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, थवेट्स के टूट जाने से दुनिया में समुद्र के जलस्तर में अगर 65 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई तो समुद्रतटीय रेखा बदल जाएगी। उदाहरण सामने हैं। वर्ष 1900 के बाद से समुद्र के स्तर में लगभग 20 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है, इस बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो चुके हैं और बाढ़, खारे पानी के दूषित होने और आवास के नुकसान जैसी पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं।
पश्चिम अंटार्कटिका के हिमनदों को ‘मरीन आइस क्लिफ इंस्टैबिलिटी’ या एम‌आइसीआइ नामक एक तंत्र के कारण कमजोर माना जाता है, जहां बर्फ के हटने से विशाल और अस्थिर हिम चट्टानें उजागर होकर समुद्र में गिरती हैं। समुद्र के जलस्तर में क‌ई मीटर की वृद्धि दुनिया के क‌ई प्रमुख शहरों को जलमग्न कर देगी – जिनमें शंघाई, न्यूयॉर्क, मियामी, टोक्यो और मुंबई, आदि शामिल हैं। यह तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूमि पर फैल जाएगा और बड़े पैमाने पर किरिबाती, तुवालु, मालदीव, मारिशस जैसे निचले द्वीप राष्ट्रों को निगल जाएगा।
थवेट्स एक तरह की बर्फ की जमी हुई नदी है। वह पहले से ही वैश्विक समुद्र-जलस्तर में वृद्धि का लगभग चार फीसद योगदान देता है। वर्ष 2000 के बाद से हिमनद को 1,000 अरब टन से अधिक बर्फ का शुद्ध नुकसान हुआ है और यह पिछले तीन दशकों में लगातार बढ़ा है। 30 वर्षों में इसके प्रवाह की गति दोगुनी हो गई है, अर्थात 1990 के दशक की तुलना में दोगुनी बर्फ समुद्र में जा रही है। 80 मील चौड़ा थवेट्स हिमनद, दुनिया का सबसे चौड़ा हिमनद है। इसे बर्फ के एक तैरते हुए प्लेटफार्म ने अपनी जगह पर रोक रखा है। यह प्लेटफार्म हिमनद को रोकता है और इसके बहने की रफ्तार को भी कम करता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इस बात की पुष्टि की है कि यह बर्फ का प्लेटफार्म तेजी से अस्थिर हो रहा है। 90 प्रतिशत बर्फ अंटार्कटिक बर्फ की चादर से समुद्र में बहती है, और लगभग आधी जो ग्रीनलैंड से खो जाती है, वह दसियों किलोमीटर या उससे कम की संकीर्ण, तेज बर्फ की धाराओं में यात्रा करती हैं। सबसे बड़े प्रवाह को रोकने से बर्फ की चादरें अवश्य मोटी हो सकती हैं, धीमी हो सकती हैं या समुद्र के स्तर में वृद्धि में उनके योगदान को उलट सकती हैं।
लैपलैंड और बीजिंग नाॅर्मल यूनिवर्सिटी में दोहरी नियुक्तियों वाले एक ब्रिटिश ग्लेशियोलाॅजिस्ट जाॅन मूर के पास कुछ वर्षों में एक बड़ा विचार था। बड़ी बर्फ की धाराएं तेजी से और तेजी से आगे बढ़ रही हैं क्योंकि महासागर गर्म हो रहा है, और गर्म धाराएं उन ग्लेशियरों के नीचे खो रही हैं जहां वे समुद्र से मिलती हैं, तो उन्हें रोको। गर्म धाराएं गहरी हैं। जब वे बर्फ की धारा के सबसे निचले हिस्से को पिघलाते हैं, जहां यह समुद्र से मिलती हैं, तो ग्लेशियर अंतर्निहित चट्टान के साथ घर्षण ही उन्हें धीमा कर देता है। वे तीन, पांच और दस गुना तेज गति कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?