जामुड़िया :अवैध बालू खनन पर रोक लगाने के तमाम सरकारी दावों के बावजूद केंदा क्षेत्र मे अवैध बालू कारोबार खुलेआम जारी

जामुड़िया। अवैध बालू खनन पर रोक लगाने के तमाम सरकारी दावों के बावजूद केंदा फाड़ी क्षेत्र में यह कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। स्थिति यह है कि बालू माफिया बेखौफ होकर रात को ट्रकों और डंपरों से बालू ढोने का काम कर रहे हैं।बुधवार की देर रात एक ऐसी ही बड़ी कार्रवाई में केंदा पुलिस को सफलता हाथ लगी।रात लगभग एक बजे डोबराना मोड़ के पास स्थानीय लोगों ने अवैध बालू लदा एक डंपर पकड़ा गया। यह गाड़ी सिद्धपुर बागडीहा इलाके से आ रही थी और पुलिस की पकड़ में आने के बाद इसे केंदा फाड़ी के हवाले कर दिया गया।स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह सिर्फ एक डंपर की कहानी नहीं है। प्रतिदिन 50 से 60 गाड़ियां अवैध रूप से इसी मार्ग से गुजरती हैं और माकन नामक व्यक्ति के संरक्षण में सिद्धपुर-बागडीहा से बालू की तस्करी की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध कारोबारियों और खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे प्रशासन की नाक के नीचे लगातार खनन और परिवहन कर रहे हैं।अवैध बालू खनन ने न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचाया है बल्कि पर्यावरण और स्थानीय भूगोल को भी गंभीर संकट में डाल दिया है। नदियों और नालों से अंधाधुंध खनन के कारण जलस्तर प्रभावित हो रहा है। वहीं, असमय कटाव और भूमि धंसान की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इससे क्षेत्र के गांवों में बाढ़ जैसी परिस्थितियों का खतरा मंडराने लगा है।स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन समय-समय पर छापेमारी करता है, लेकिन यह कार्रवाई स्थायी समाधान नहीं है। एक-दो डंपर पकड़ने से समस्या खत्म नहीं होगी, क्योंकि माफिया बड़े स्तर पर संगठित नेटवर्क के तहत इस कारोबार को चला रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा पैमाने पर अवैध खनन और परिवहन संभव ही नहीं है।पकड़े गए डंपर को केंदा फाड़ी पुलिस ने कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि पुलिस इस मामले में कितनी सख्ती दिखाती है और खनन माफियाओं के खिलाफ क्या ठोस कदम उठाती है। अक्सर ऐसे मामलों में गाड़ियां जब्त कर ली जाती हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद गुपचुप तरीके से मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।क्षेत्र के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि अवैध बालू खनन को रोकने के लिए सरकार और जिला प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए।

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