संतोष मित्र स्क्वायर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम से सेना की वीरता दर्शित, भवानीपुर पंडाल ‘बिनोदिनी’ को समर्पित

कोलकाता, 28 जुलाई । इस साल दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता की दो प्रमुख पूजा समितियां देशभक्ति और सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत करने जा रही हैं। एक ओर जहां संतोष मित्र स्क्वायर का पंडाल भारतीय सेना के शौर्य गाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित होगा। वहीं भवानीपुर 75 पल्ली की थीम 19वीं सदी की पहली रंगमंच कलाकार बिनोदिनी दासी के जीवन पर केंद्रित होगी।

सेना की बहादुरी को समर्पित संतोष मित्र स्क्वायर

संतोष मित्र स्क्वायर दुर्गा पूजा समिति ने इस वर्ष का पंडाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर तैयार करने का निर्णय लिया है। समिति के प्रवक्ता और भारतीय जनता पार्टी के नेता सजल घोष ने बताया कि इस पंडाल के माध्यम से भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को दृश्य रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। पंडाल में युद्धभूमि के दृश्य, विशेष प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि प्रभाव और देशभक्ति से ओतप्रोत गीतों जैसे ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘मेरे वतन’ और ‘वंदे मातरम्’ के माध्यम से राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत किया जाएगा।

घोष ने कहा कि यह थीम उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।
उल्लेखनीय है कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था।
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थिएटर की पहली नायिका को समर्पित भवानीपुर 75 पल्ली

भवानीपुर 75 पल्ली समिति ने इस वर्ष बिनोदिनी दासी को केंद्र में रखकर पंडाल की कल्पना की है। समिति के सचिव सुबीर दास ने बताया कि बिनोदिनी दासी वह पहली बंगाली महिला थीं जिन्होंने रंगमंच पर महिला किरदार निभाए, जब उस समय पुरुष ही महिलाओं की भूमिकाएं निभाया करते थे। इस वर्ष पंडाल में उनके जीवन, संघर्ष और थिएटर में उनके योगदान को जीवंत किया जाएगा।

दास ने कहा कि पंडाल में वह ऐतिहासिक क्षण भी दर्शाया जाएगा जब रामकृष्ण परमहंस ने उनके अभिनय से प्रभावित होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। मां दुर्गा की प्रतिमा ‘सनातनी’ शैली में बनाई जा रही है, जो महिला सशक्तिकरण के मूल भाव को दर्शाएगी। इसके अलावा, पंडाल में गिरीश घोष द्वारा निर्मित ‘स्टार थिएटर’ के नाम को ‘बिनोदिनी मंच’ के रूप में बदलने की घटना को भी विशेष रूप से रेखांकित किया जाएगा।

कोलकाता की दुर्गा पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं रही, बल्कि अब यह सामाजिक और सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बन चुकी है। ऐतिहासिक घटनाओं, सामाजिक सरोकारों और सांस्कृतिक धरोहरों को केंद्र में रखकर बन रहे ये पंडाल शहर की पहचान का हिस्सा बन गए हैं।

इस वर्ष दुर्गा पूजा का आयोजन 28 सितम्बर से दो अक्टूबर तक होगा। हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, जो न सिर्फ मां दुर्गा के दर्शन के लिए, बल्कि इन कलात्मक और वैचारिक प्रस्तुतियों को देखने भी कोलकाता पहुंचेंगे।

 

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