रानीगंज(दलजीत सिंह) / आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन पश्चिम बंगाल शाखा ने इस वर्ष राज्य के जनजाति और पिछड़े इलाकों में सत्तत विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की है। पर्यावरणीय पहल के तहत 50000 सहजन मोरिंगा के पौधे लगाए हैं जनजाति क्षेत्र में चलाए गए कार्यक्रमों के अंतर्गत 4000 से अधिक लोगों को लाभ हुआ है जिनमें मेडिकल कैंप ,सांस की तकनीक की कार्यशालाएं, सेनेटरी पैड का वितरण, कैरियर काउंसलिंग और अन्य जागरूकता गतिविधियों शामिल थी। संस्था की ओर से अमित चट्टोपाध्याय ,पूर्व भारत के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ने बताया कि हम दक्षिण बंगाल के विभिन्न जिला में रोजगार मेले आयोजित कर रहे हैं जिसमें ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को अवसर मिल रहा है। रामदास भट्टाचार्य राज्य सामान्यक ने कहा कि 60 से अधिक युवाओं को नौकरी दिलाने में मदद की है इनमें से कई युवाओं को यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम और 50 घंटे के योग प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के माध्यम से प्रेरित और प्रशिक्षित किया गया है। साउथ बंगाल आर्ट ऑफ़ लिविंग आश्रम काजोरा के प्रभारी श्याम जायसवाल ने कहा कि संस्था के दक्षिण बंगाल मुख्यालय में इस समय 45 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकेगी संस्था आयुर्वेद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रही है अगला आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर इस रविवार को होगा । संस्था आयुर्वेद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रही है साथ ही संस्था प्राचीन संस्कृति के संरक्षण और सकारात्मक ऊर्जा के प्रसार के लिए रुद्राभिषेक जैसे वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन भी कर रही है। पर्यावरण स्वास्थ्य रोजगार महिला सशक्तिकरण और आध्यात्मिकता को एक साथ लेकर आर्ट ऑफ लिविंग पश्चिम बंगाल ग्रामीण बंगाल को प्रेरित सक्षम और समृद्ध बना रहे हैं।