बंगीय हिन्दी परिषद में मातृ दिवस

कोलकाता, 12 मई। पश्चिम बंगाल की स्वनामधन्य संस्था ‘बंगीय हिन्दी परिषद ‘के तत्वावधान में कवि कल्प की गोष्ठी में विश्व मातृ दिवस का पालन किया गया। इस पावन अवसर पर संस्था के मंत्री डाॅ राजेंद्र नाथ त्रिपाठी ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि आज विश्व मातृ दिवस है। माँ के बिना संसार की कल्पना करना आसान नहीं है क्योंकि इस पूरे संसार की रचना का कारण माॅ ही है।ये दिन माॅ के प्रति अपना प्यार जताने का अवसर है। माँ को ये एहसास दिलाने का कि वो आपके लिए कितनी खास है। मातृ दिवस पर जोर देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि आज खुशी का दिन हैं कि अपनी भावनाएं व्यक्त करने का सबसे बढ़िया तरीका उपहार के साथ माॅ के लिए लिखी कविताएं या शायरी भी हो सकती है। श्रद्धा टिबडेवाल ने सरस्वती वंदना की तत्पश्चात कवि कल्प गोष्ठी की शुरुआत हुई। पधारे हुए समस्त रचनाकारों ने माॅ पर केन्द्रित रचनाएं सुनाई जिनमें सर्वश्रेष्ठ रोहित साव, जोया अहमद, मोहम्मद अय्यूब, ओमप्रकाश चौबे, राम पुकार सिंह ‘पुकार गाजीपुरी ‘,कमल पुरोहित ‘अपरिचित ‘,नन्दलाल सेठ ‘रौशन ‘,डाॅ मनोज मिश्र, चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी ‘,जीवन सिंह,मुरली चौधरी, गणेश नाथ तिवारी, ऊषा जैन, तेजसवनी साव, सूरज साव, डाॅ शाहिद फरोगी की प्रस्तुति से मातृ दिवस को सार्थक किया। मंचासीन मुख्य अतिथि रणजीत भारती, विशिष्ट अतिथि राम नारायण झा ‘देहाती ‘तथा कार्यक्रम अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार गजेन्द्र नाहटा ने कविताएं सुनाकर खूब वाहवाही बटोरीं। समारोह का सफल संचालन प्रदीप कुमार धानुक व धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डाॅ मनोज मिश्र ने किया।

 

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