कोलकाता, 04 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों को लेकर शुक्रवार को कोलकाता में बामपंथी छात्र और युवा संगठनों —स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) —ने जोरदार प्रदर्शन किया।
सियालदह इलाके में करीब 500 प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ नारेबाजी की और पूरे मामले में उनके इस्तीफे की मांग की।
एसएफआई की राज्य समिति के सदस्य शुभजीत सरकार ने कहा, ‘‘भर्ती प्रक्रिया में जो भारी भ्रष्टाचार हुआ, उसके लिए हम ममता बनर्जी को जिम्मेदार मानते हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी जैसे तृणमूल नेताओं की इसमें सीधी संलिप्तता रही है, जिससे हज़ारों योग्य अभ्यर्थी अपनी नौकरियों से वंचित हो गए।’’
गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें 25 हजार 752 शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गई थीं।
इन सभी की भर्ती वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा के जरिए हुई थी।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का है। उन्होंने मांग की कि इस घोटाले की पूरी ज़िम्मेदारी ममता बनर्जी को लेनी चाहिए और उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।