कोलकाता । पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर पिछले तीन दिनों से पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की जा रही उग्र हिंसा, आगजनी, पुलिस पर पथराव और प्रशासन की ना कामयाबी पर वरिष्ठ शिक्षाविद और इंडियन म्यूजियम के अछी परिषद के सदस्य डॉ अचिंत्य विश्वास ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि आजादी के पहले भी इसी तरह के हालात थे। तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे दूरदर्शी व्यक्ति थे लेकिन आज हालात डरावने बनते जा रहे हैं और एक बार फिर लगता है कि आने वाले समय में बंगाल के हिंदुओं का पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बंगाल के हिंदू समुदाय सोच लें कि वे कहां जाएंगे। शनिवार को “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि केवल पश्चिम बंगाल के हावड़ा में ही नहीं बल्कि जुम्मे की नमाज के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद से लेकर देश के सभी हिस्सों में जमकर उग्र प्रदर्शन और हिंसा हुई है। पथराव तोड़फोड़ आगजनी जिस तरह से हुई उससे स्पष्ट है कि पहले से पत्थर एकत्रित कर रखे गए थे और इसकी योजना बखूबी बनाई गई थी। देश के दूसरे हिस्सों में तो पुलिस ने हालात को संभाल लिया लेकिन पश्चिम बंगाल में प्रशासन पूरी तरह से विफल है। यहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाथ जोड़कर हिंसा करने वालों से अनुरोध कर रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने आंदोलनकारियों से दिल्ली में जाकर हंगामा करने को भी कहा जो घोर आपत्तिजनक है। कट्टरपंथियों को उनके मन मुताबिक काम करने की छूट देने का क्या कुछ परिणाम हो सकता है वह हमने इतिहास में देखा है। बंगाल के हिंदू समुदाय की मां बहन बेटियां तो कई बार इन कट्टरपंथियों के सशस्त्र हिंसा और मानसिक विकृति का शिकार हुई हैं। अनगिनत हिंदू बंगालियों को मौत के घाट उतारा गया है। लाखों लोग शरणार्थी बन गए। अब उसी तरह के हालात फिर दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हावड़ा में सभी सड़कों को उपद्रवियों ने जाम कर दिया, आगजनी की, हिंसा की और प्रशासन के प्रमुख हाथ जोड़कर अनुरोध करते नजर आए। इससे बंगाल के साधारण लोगों का जीवन किस पैमाने पर बाधित हुआ है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह हालात एक बार फिर देश के हिंसक बंटवारे की यादें ताजा करने वाला है।