महाकुंभ से काशी आए नागा संत अपने अखाड़ों में पहुंचे,गंगा किनारे भी डेरा डाला

गंगा किनारे नागा संतों का डेरा

नागा संतों का आर्शीवाद लेने उमड़ रहे श्रद्धालु,घाटों पर विदेशी पर्यटक भी जुटे

वाराणसी  । प्रयागराज महाकुंभ से रविवार को जत्थों में काशी पहुंचे नागा संत अपने अखाड़ों और मठों में पहुंच चुके है। अपरान्ह से ही नागा संत नगर सीमा में प्रवेश के बाद अपने अखाड़ों में आए। इस दौरान शहर में जगह—जगह नागा संतों का लोग पुष्पवर्षा कर स्वागत करते रहे। नागा संयासी दशाश्वमेध, शिवाला, हनुमानघाट, केदारघाट आदि घाटों पर डेरा डाल धुनी रमाने लगे है। नागा संतों के घाटों पर पहुंचते ही उनके दर्शन और आर्शिवाद के लिए महाकुंभ से लौटे श्रद्धालु भी पहुंचने लगे।

शहर में आने के बाद नागा संतों ने अपने—अपने गुरू, आराध्यदेव की पूजा की। पंचदशनाम निरंजनी, आह्वान अखाड़े,अटल अखाड़े और महानिर्वाणी अखाड़े में संतों के आने से रौनक बढ़ गई है। शिव आराधना समिति के डॉ मृदुल मिश्र ने बताया कि महाकुंभ से काशी आने के बाद अधिक संख्या में नागा संत बैजनत्था स्थित जपेश्वर मठ, कबीरचौरा के औघड़नाथ तकिया अखाड़े के समीप स्थित शंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़े में आते है। उन्होंने बताया कि नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा काशी में भी है। नागा साधुओं के सबसे बड़े अखाड़े की स्थापना आदि शंकराचार्य ने किया था। भारत के चार शैव संन्यासियों के अखाड़े भी काशी में है। इन अखाड़ों में महाकुंभ से लौटने वाले नागा संत रहते है। मोक्ष तीर्थ हरिश्चंद्रघाट के समीप हनुमानघाट पर पंचदशनाम जूना अखाड़ा है। इसी तरह दशाश्वमेधघाट पर पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा,कपिलधारा में आनंद अखाड़ा,श्री पंचअटल अखाड़ा,राजघाट पर अग्नि अखाड़ा,शिवाला घाट पर निरंजनी अखाड़ा सहित 13 से अधिक अखाड़ों के मुख्यालय या शाखा है। जहां महाकुंभ से आने के बाद नागा संयासी रहते है। वैष्णव संप्रदाय का उदासीन अखाड़ा,निर्मल और निर्मोही अखाड़ा भी यहां है। महाकुंभ से आने के बाद नागा संत अपने—अपने अखाड़ों में विविध धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेते हैं । इसके बाद महाशिवरात्रि पर श्री काशी विश्वनाथ दरबार में अपने अखाड़े से शोभायात्रा निकाल कर पहुंचते है। बताते चलें कि माघी पूर्णिमा पर 12 फरवरी को नागा संत बैजनत्था कोल्हुआ स्थित जपेश्वर मठ से शोभायात्रा निकालेंगे।

 

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