महाकुम्भ : मेले में बिक रहा कंद मूल, भगवान् श्रीराम ने वनवास के दौरान खाया था यह फल

 

महाकुम्भ नगर, 4 फरवरी । विश्व के सबसे बड़े मेले कुम्भ में देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु मेले में बिक रही खाने पीने की वस्तुओं के अलावा माला, पूजा की सामग्री, हार श्रृंगार का समान, खिलौने, कपड़े और अन्य सजावटी समान खरीदते हैं। मेले में बिक रहा कंदमूल श्रद्धालुओं की जिज्ञासा को बढ़ाता है, क्योंकि इसका नाम तो शायद उन्होंने सुना होगा। पर इससे पहले न तो उन्होंने इसे देखा है, और न ही इसका स्वाद चखा है। मेला क्षेत्र में कंदमूल विक्रेताओं ने कंदमूल की जानकारी वाला बोर्ड रखा है, जिससे ग्राहक इसके बारे में जान सकें।

राम फल क्या है?कंद-मूल को राम फल के नाम से भी जाना जाता है। इस फल को बेचने वाले लोगों का मानना है कि इस कंद-मूल को भगवान राम ने अपने चौदह वर्ष के वनवास के दौरान खाया था। यही वजह है कि इस कंदमूल का नाम राम कंदमूल रखा गया है। यह एक जंगली फल है, जो अपने-आप ही उगता है, इसलिए इसकी खेती या इसे कहीं पर लगाने की जरूरत नहीं होती है। इसके पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन और कुछ फाइटोन्यूट्रिएंट्स के गुण पाए जाते हैं।

कहां मिलता है?ज्यादातर यह फल आपको तीर्थ स्थल, मेला और दक्षिण भारत में देखने को मिलेगा। सिलेंडर के आकार में भूरे और सफेद रंग के इस फल को राम कंद मूल के नाम से जाना जाता है। यह तमिलनाडु, हरिद्वार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में देखने को मिलता है।

20 रुपये में पांच स्लाइसकुम्भ मेले में आपको 20 रुपये में कंदमूल की पांच स्लाइस मिलेंगी। शंकर विमान मण्डपम के सामने कंदमूल बेचने वाले हरिराम बताते हैं, ‘कुछ लोगों ने तो इसे पहले खाया है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने सिर्फ इसका नाम ही सुन रखा है।’ वो कहते हैं, ‘लोग इसके बारे में पूछते हैं, जब उनको यह पता चलता है कि भगवान राम ने वनवास में इसको खाकर गुजारा किया था, तो वे बड़े श्रद्धाभाव से खरीदते हैं।’

घर ले जाकर सबको खिलाऊंगीपंजाब के राजपुरा से महाकुम्भ में आयी राधा शर्मा कहती हैं, ‘कंदमूल का जिक्र कई बार धार्मिक फिल्मों को किताबों में देखा-सुना था। लेकिन इसको कभी देखा नहीं था और न ही खाया था।’ राधा अपने घर के सदस्यों और मित्रों के लिये कंदमूल खरीद कर ले जा रही हैं।

दिल्ली जनकपुरी के रहने वाले मोहित बक्शी बताते हैं, ‘मैंने पहली बार कंदमूल देखा है। इसको भगवान राम ने वनवास के समय खाया था। मैं अपने घरवालों और दोस्तों के लिये लेकर जा रहा हूं।’

संगम नोज पर कंदमूल विक्रेता विक्रम निषाद ने बतायाकि, ‘पहले लोग इसके बारे में जानकारी मांगते हैं, जब उनको पता चलता है कि भगवान राम वनवास में कंदमूल खाया था तो वो बड़ी श्रद्धा से इसे खरीद कर ले जाते हैं।’ वो बताते हैं कि, ‘कंदमूल की बिक्री ज्यादा नहीं हो रही है, ज्यादातर लोग इसे देखते हुये आगे निकल जाते हैं। जो श्रद्धालु या यात्री इसके बारे में रूककर जानकारी लेता है, तो वो इसे खरीद लेता है। क्योंकि ये भगवान राम से जुड़ा है।’
कंद मूल फल के स्वाद के बारे मेंबेचने वाले इसे धार वाली चाकू की मदद से पतली-पतली स्लाइस में काटते हैं। इसका स्वाद खाने में काफी अलग और रसीला होता है। राम कंद-मूल को बेचने वाले विक्रेताओं का कहना है कि यह फल पेट को ठंडा रखने में मददगार है।

रिसर्च क्या कहती है?साल 2011 में कंद मूल फल को लेकर हुए रिसर्च के आधार पर इसे सब्जी माना जाता है। राम कंद-मूल को लेकर सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (सी.ई.डी.ए.आर) के 2017 के फेसबुक पोस्ट के मुताबिक, राम कंद मूल एक बीज पत्री है न कि कंद। कंद-मूल फलों को लेकर हुए परीक्षणों के अनुसार एगेव सिसलाना एक बीजपत्री यानी मोनोकॉट के जैसे है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?