कोलकाता । बीरभूम जिले के तृणमूल अध्यक्ष और विवादित नेता अणुव्रत मंडल की गाड़ी में गैरकानूनी तरीके से लंबे समय से लाल बत्ती लगी होने और उसी गाड़ी में मंडल के घूमने पर एक बार फिर ममता कैबिनेट के मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने टिप्पणी की है। सोमवार को इस बावत पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कौन लाल बत्ती अथवा नीली बत्ती लगी गाड़ी में घूम सकता है इसकी एक सूची है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद उस सूची को अनुमति दी है। राज्यभर की पुलिस के पास सूची मौजूद है। उस सूची से इतर अगर कोई लाल अथवा नीली बत्ती की गाड़ी में घूमता है तो पुलिस के पास कार्रवाई का अधिकार है।
लाल बत्ती की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी पूछे गए सवाल के जवाब में हकीम ने कहा कि बत्ती की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता क्योंकि इस पर रोक का कोई संवैधानिक कानून नहीं है। राज्य सरकार भी आवश्यकता पड़ने पर दुकानों से ही लाल बत्ती खरीदती है। इसलिए इनकी बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। कौन ऐसी गाड़ी में चलेगा और कौन नहीं चलेगा इसकी सूची मौजूद है और निश्चित तौर पर पुलिस इस मामले में कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
उल्लेखनीय है कि अणुव्रत मंडल की गाड़ी में लाल बत्ती लगाए जाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगी है। बिना किसी संवैधानिक पद पर रहे भी मंडल अपनी गाड़ी में लाल बत्ती लगाकर पूरे राज्य में घूमते हैं जिस पर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। पहले ही हकीम ने कहा था कि मंडल को अपनी गाड़ी में लाल बत्ती लगाकर घूमने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि आगे से परिवहन विभाग गैरकानूनी तरीके से लाल या नीली बत्ती लगाकर घूमने वाली गाड़ियों के खिलाफ ना केवल कानूनी कार्रवाई करेगा बल्कि गाड़ियों को भी जब्त करेगा।
कौन-कौन इस्तेमाल कर सकता है लाल बत्ती वाली गाड़ियां
लाल बत्ती की गाड़ियां इस्तेमाल करने को लेकर संवैधानिक नियम मौजूद हैं। दो तरह की लाल बत्ती होती है एक फ्लैश वाली और दूसरी बिना फ्लैश वाली। प्लैश वाली लाल बत्ती में केवल राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, विधानसभा के अध्यक्ष, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश सफर कर सकते हैं। दूसरी ओर बिना फ्लैश वाली लाल बत्ती का इस्तेमाल स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, कोलकाता के मेयर और राज्य सरकार के मुख्य सचिव कर सकते हैं। इनमें से किसी भी पद पर रहे बगैर अनुव्रत मंडल लंबे समय से लाल बत्ती वाली गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं जो राज्य प्रशासन की भूमिका को सवालों के घेरे में रखने वाला है।