कोलकाता, 11 सितंबर । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, जूनियर डॉक्टर अपनी हड़ताल पर अड़े हुए हैं। स्वास्थ्य भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ इस बार मुर्शिदाबाद के भरतपुर से तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने विवादित बयान दिया है।
बुधवार को हुमायूं कबीर ने कहा, किसी भी मौत का होना दुखद है। हम भी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पीड़िता के दोषियों के लिए कठोरतम सजा चाहते हैं। आंदोलनकारियों की मांग पर सीबीआई जांच भी हो रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आंदोलनकारी डॉक्टर दिन-ब-दिन हड़ताल जारी रखेंगे। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, डॉक्टर सरकारी वेतन ले रहे हैं, लोगों को सेवा देना उनकी जिम्मेदारी है। अगर हम उस पर हस्तक्षेप करें तो क्या होगा? अगर डॉक्टर लगातार सेवा बंद करेंगे, तो हमें भी प्रतिरोध करने का अधिकार है। पब्लिक मर रही है, तो डॉक्टर सुरक्षित क्यों रहेंगे? डॉक्टरों को घेरने का अधिकार भी हमें संविधान ने दिया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए समय सीमा तय की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हड़ताल वापस लेने की अपील की थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। उल्टा, आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सरकार को ही डेडलाइन दे दी।
मंगलवार दोपहर से स्वास्थ्य भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी पांच मांगें शाम पांच बजे तक नहीं मानी गईं, तो वे काम पर लौटने पर विचार नहीं करेंगे। राज्य सरकार द्वारा मांगें न माने जाने के कारण बुधवार को भी जूनियर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे। इसके चलते मुख्य सचिव ने उन्हें बुधवार शाम छह बजे नवान्न आने के लिए पत्र भेजा, लेकिन उनकी दी गई डेडलाइन भी समाप्त हो गई। फिलहाल, जूनियर डॉक्टर अपनी हड़ताल पर अडिग हैं।