सम्यक् ज्ञान की आराधना करते हुए विवेक, संयम से जीवन जीने की प्रेरणा

कोलकाता । श्री वर्धमान जैन संघ में पर्युषण पर्व की साधना – आराधना में तपागच्छ एवम पार्श्वचंद्रगच्छ के श्रावक श्राविका प्रभु के प्रति कृतज्ञता के लिए चैत्य परिपाटी में शामिल हुए । कॉटन स्ट्रीट स्थित श्वेताम्बर जैन मन्दिर पहुंच कर सभी ने पूजा – अर्चना की । विजय चन्द बैद, दिलीप दुगड़, विनीत रामपुरिया ने बताया पण्डित प्रिमल भाई शाह, भावेश भाई जैन के मार्गदर्शन में अक्षय निधि तप, गणधर तप, मास खमण, अट्ठाई एवम कई तप श्रावक – श्राविका कर रहे हैं । प्रिमल भाई शाह ने कहा मन्दिर, तीर्थस्थान प्रभु भक्ति, साधना – आराधना का केन्द्र है । उन्होंने श्रावक – श्राविकाओं को सांसारिक, भौतिक सुख का त्याग कर सम्यक् ज्ञान की आराधना करते हुए विवेक, संयम से जीवन जीने की प्रेरणा दी । संवतसरी, क्षमापना के महत्व पर पण्डित प्रिमल भाई शाह ने कहा क्षमापना पर्व, क्षमावाणी जैन धर्म के अनुयायियों का पर्व है । क्षमा के बारे में भगवान महावीर ने कहा मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं । पर्युषण पर्व में इस दिन श्रावक – श्राविका अपनी भूलों के लिये क्षमा मांगते हैं और दूसरों को भी क्षमा करते हैं । क्षमा मांगने और दूसरों को क्षमा करने से आत्मशुद्धि होती है । क्षमा करने से आध्यात्मिक उत्थान होता है । कमल सिंह रामपुरिया, विजय चन्द बैद, एस मिलापचंद, माणकचंद सेठिया, रतन चन्द बांगाणी, महेन्द्र सुराणा, नरेन्द्र बांठिया, शांतिलाल रामपुरिया, महेन्द्र रामपुरिया, संजय रामपुरिया, अशोक बांठिया, सुमेरमल बांगाणी, सुरेश बांगाणी एवम कार्यकर्ता सक्रिय हैं ।

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