जिम्मेदारी के बिना स्वतंत्रता अराजकता में परिणित हो जाती है : शिवकुमार लोहिया

स्वाधीनता दिवस के अवसर पर अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के केंद्रीय कार्यालय प्रांगण में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिवकुमार लोहिया द्वारा झंडोत्तोलन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए लोहिया ने कहा की जिम्मेदारी के बिना स्वतंत्रता अराजकता में परिणित हो जाती है। उन्होंने गांधी जी के शब्दों को दोहराया कि जब हम स्वयं पर शासन करना सिखते हैं तभी स्वराज है। स्वाधीनता का अर्थ मुख्यतः अभिव्यक्ति एवं आराधना की स्वतंत्रता से है। साथ ही साथ इसमें अभाव एवं भय से मुक्ति का भी महत्व रहता है। आज विश्व बहुत नाजुक दौर से गुजर रहा है। कई स्थानों पर परिस्थितियां विस्फोटक भी हो सकती है। बांग्लादेश मे घट रहे परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को इस विषय में सावधान रहने की आवश्यकता है। ऐसे माहौल में हर नागरिक का पुनीत कर्तव्य बनता है कि हम ऐसा कोई भी काम ना करें जिससे कि समाज एवं राष्ट्र को क्षति पहुंचे। आपस की सद्भावना एवं सहयोग को मजबूत करने के लिए हमें हर संभव प्रयास करने चाहिए। आज छोटे-छोटे बच्चे हिंसा में लिप्त हो रहे हैं । इसके पीछे मुख्य कारण है कि हम उन्हें अपने आचरण के द्वारा सही संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। इस मामले में पूरी सावधानी बरतनी है ताकि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकें। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का लक्ष्य ही है राष्ट्र की प्रगति। हमारा पूरा समाज राष्ट्र की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है एवं हम संकल्पबद्ध होकर इस कार्य में जुटे हुए हैं। उन्होने समाज के सभी घटकों से अपील की कि सम्मेलन के वर्तमान नारे ‘आपनो समाज-एक समाज-श्रेष्ठ समाज’ को चरितार्थ करने के लिए सब एकबद्ध हो।

पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि सम्मेलन प्रांतो में बसता है। प्रांत मजबूत होते हैं तो सम्मेलन मजबूत होता है। उन्होंने वर्तमान पदाधिकारियो की कार्य प्रणाली पर साधुवाद ज्ञापित करते हुए कहा वर्तमान मे जिस प्रकार विभिन्न प्रांतो में दौरे हो रहे हैं, उस कारण संगठन में मजबूती आई है। सदस्यों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को सक्रिय रूप से सम्मेलन के कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए।समाज सुधार पर हम निरंतर काम करते रहे इसको हमें सुनिश्चित करना है।

पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदलाल रूंगटा ने कहा अंदर की ताकत ही समाज को खोखला करती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम स्वयं मर्यादित हो एवं समाज को विभाजित होने से रोके। हमें ज्यादा से ज्यादा राजस्थानी भाषा का उपयोग करना चाहिए। हमारी मातृभाषा राजस्थानी विलुप्त ना हो इसका हमें ध्यान रखना चाहिए।। इसकी शक्ति कैसे बढ़े और इसका प्रचार एवं प्रसार हो, इस बात पर हमें जोर देने की आवश्यकता है। उन्होने बताया कि सदस्य ही किसी संस्था की शक्ति होती है एवं समाज में प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है।

पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भानीराम सुरेका ने सम्मेलन के वर्तमान कार्यक्रमो पर संतोष प्रकट किया एवं उन्होंने समाज में एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है जिसको हमें असफल करना है। नंद लाल सिंघानिया ने कहा देश के इतिहास को गलत ढंग से पेश किया गया है, हमें सही इतिहास के बारे में जानने की आवश्यकता है। आत्माराम सोंथालिया ने कहा कि समाज अभी संगठित नहीं है, हमें समाज को और अधिक संगठित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में सम्मेलन को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। समाजसेवी शंकर कारीवाल ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक सभी क्षेत्रों में मारवाडियों का बहुत योगदान रहा है। देश को कमजोर करने की साजिशों से हमे सावधान रहना है। देश के भीतर एक लड़ाई चल रही है, उसको हमें असफल करना है। प्रदीप जीवराजका ने रामधारी सिेह दिनकर की मशहुर कविता ‘समर शेष है!’ का पाठ किया। दीनदयाल धनानिया ने भी अपने वक्तव्य रखें। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष केदारनाथ गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री श्री पवन जालान ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम मे राष्ट्रीय महासचिव कैलाशपति तोदी, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री संजय गोयनका, राजेश सोंथलिया, बाबूलाल बंका,सुरेश अग्रवाल,पियूष क्याल,राजेंद्र राजा, सुनील अग्रवाल, अजय गुप्ता, श्याम अग्रवाल, सुदीप अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, विजय वशिष्ठ, सज्जन बेरीवाल एवं अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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