मकर संक्रांति पर्व पर काशी में लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई

77 सालों के बाद बने वरीयान और रवि योग के दुर्लभ संयोग में स्नान का सुख, दान पुण्य के लिए होड़

वाराणसी,15 जनवरी । 77 सालों के बाद बने वरीयान और रवि योग के दुर्लभ संयोग में मकर संक्रांति पर्व पर सोमवार को धर्म नगरी काशी में ठंड और हाड़कपा देने वाली गलन के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई।

स्नान के बाद गंगा घाटों पर उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, काली खड़ाऊं, काला छाता, चने की दाल, पीला-लाल, काला एवं हरा वस्त्र, हल्दी, पीला फूल-फल, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, मसूर, घी आदि दान किए।

इसके बाद श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ दरबार में भी हाजिरी लगाई। स्नानार्थियों के चलते दशाश्वमेध से लेकर गोदोलिया तक भोर से ही चहल-पहल बनी रही। इस दौरान घाट पर और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में सुरक्षा का व्यापक इंतजाम रहा। जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ के जवान जहां घाटों पर मुस्तैद दिखे। वहीं, अफसर फोर्स लेकर सड़कों पर भ्रमण करते रहें। महास्नान पर्व पर गंगा स्नान के लिए वाराणसी सहित पूर्वांचल के ग्रामीण अंचल से आई महिलाएं सिर पर गठरी लिए मां गंगा के गीत गाते हुए नंगे पाव स्नान के लिए घाटों पर आती रही। वहीं, शहरियों के साथ देश के अन्य हिस्सों से आये श्रद्धालु भी स्नान के लिए भोर से ही गंगा घाट पर पहुंचते रहे। स्नान ध्यान, दान पुण्य का सिलसिला अपरान्ह तक चलता रहा। गंगा स्नान के लिए सबसे अधिक भीड़ प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, शीतला घाट, चगंगाघाट, भैसासुरघाट, खिड़किया घाट, अस्सी घाट, राजघाट, चेतसिंह किला घाट पर जुटी रही। पर्व पर दशाश्वमेध मार्ग स्थित खिचड़ी बाबा मंदिर से प्रसाद स्वरुप भक्तों में खिचड़ी बाटी गई। लोगों ने उत्साह के साथ खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद अपने घरों को रवाना हुए।

उधर, जिले के ग्रामीण अंचल चौबेपुर के गौराउपरवार, चन्द्रावती, परनापुर, रामपुर, सरसौल, बलुआ घाट पर भी लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। भोर के चार बजे के बाद ही गंगा तटों पर ठहरे लोग कोहरे और ठंड की परवाह किए बगैर आस्था का गोता लगाने लगे। दिन चढ़ने के बाद लगातार घाटों पर भीड़ लगने लगी जो दोपहर तब चलेगी। स्नान, दानपुण्य के बाद ग्रामीण अंचल की महिलाओं ने घरेलू सामानों की जमकर खरीदारी की।

गौरतलब हो मकर संक्रांति वाले दिन भगवान सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर आते हैं। आज के ही दिन से सूर्य उत्तरायण होने के कारण स्नान पर्व का महत्व बढ़ जाता है। रविवार 14 जनवरी की देर रात 2:44 बजे सूर्यदेव ने धनु से मकर राशि में प्रवेश किया। खास व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में महास्नान पर्व होने से श्रद्धालुओं ने पूरे आस्था और विश्वास के साथ पुण्य सलिला में डुबकी लगाई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?