कूचबिहार । उत्तरकाशी में सुरंग से बचाए गए माणिक तालुकदार राज्य में लौट आए। उनका आरोप है कि राज्य में रोजगार की कमी है। वहां बहुत सारी नौकरियां हैं। इस कारण हमलोग राज्य से बाहर जाने को मजबूर हैं। माणिक ने कहा कि अगर काम मिलेगा तो बंगाल में ही रहूंगा। मैं दीदी से कहूंगा कि वे हमें काम दें।
कूचबिहार के माणिक तालुकदार उत्तरकाशी सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों में से एक हैं। बचावकार्य के बाद ऋषिकेश एम्स अस्पताल में इलाज के बाद शुक्रवार को वापसी के दौरान बागडोगरा हवाईअड्डे पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लड़का बीए पास करके बैठा है। कोई काम नहीं है। अगर मैं काम नहीं करूंगा तो परिवार कैसे चलाऊंगा?
माणिक ने पूछा कि बाहर कई कंपनियां हैं। यहां कोई कंपनी नहीं है और कितने लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी? साथ ही उन्होंने अपनी सैलरी का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे वहां 34,000 रुपये सैलरी मिलती है। क्या तुम यहां इस काम के लिए इतने पैसे दोगे?
अकेले माणिक ही नहीं, विभिन्न प्रवासी श्रमिकों ने राज्य में रोजगार की कमी का आरोप लगाया है। बंगाल से दूसरे राज्यों में मरने वाले कई मजदूरों के परिवारों की बार-बार आरोप लगाया है कि उन्हें पैसे कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है क्योंकि इस राज्य में कोई काम नहीं है। पिछले दिनों उत्तरकाशी सुरंग में फंसे एक अन्य मजदूर जयदेव प्रमाणिक के पिता तापस प्रमाणिक ने भी कहा था कि उनकी चाय की दुकान है। इससे परिवार का गुजारा नहीं चलता। भले ही यह जोखिम भरा हो, वह अपने बेटे को फिर से दूसरे राज्य में काम करने के लिए भेजेंगे।

