मधुकुंडा(संवाददाता)।पुरुलिया जिले के मधुकुंडा स्थित जामिया इस्लामिया सेराजुल उलूम के द्वारा भव्य तरीके से जलशा एवं दस्तारबंदी का आयोजन किया गया. इस दौरान मदरसा में तालीम हासिल कर रहे तीस (30) हाफिज-ए-कुरआन की दस्तारबंदी सदरात सैयद मौलाना तलहा महाराष्ट्र ने किया. संचालन हजरत मौलाना खालिद रहमानी ने किया. मौके पर आसनसोल जामा मस्जिद के इमाम खुर्शीद अकरम रहमानी, हजरत मौलाना सैयद नकीबुल अमीन ओरिसा के इलावा काफी संख्या में स्थानीय उलमा कराम मौजूद रहे. मदरसा के मुहतमिम हाफिज मोहम्मद आफताब ने सभी का धन्यवाद व अभिनन्दन किया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सय्यद मौलाना ताल्हा ने कहा कि जीवन हमें अल्लाह ने दिया है, हमें एक निश्चित समय के लिए इस दुनिया में भेजा गया है, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हमारी उम्र कम होती जा रही है, हमें अपनी कब्रों की सफाई के बारे में सोचने की जरूरत है. हम जो कुछ भी करते हैं, वो सब हजरत मोहम्मद साहेब के नक्शेकदम पर चलकर अल्लाह के पास वापस जाने के लिए करते है.उन्होंने कहा कि हमारा जीवन पापों से मुक्त हो सकता है, बस हर समय अल्लाह को हिसाब देने के लिए तैयार रहें, और अपना मन बना लें कि ऐसी कोई बात ना हो, जो रसूल के खिलाफ करें. उन्होंने कहा कुरान दिल से सुनने की चीज है, कान से नहीं, क्योकि यह हमारे रब का फ़रमान है, जिसने भी अल्लाह की नाफ़रमानी की, वो हमेशा नाकाम रहा. मुल्क के हालात की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि मुल्क का जहाज़ भी डूब रहा है, लेकिन जहाज़ चलाने वाले ही इसमें छेद कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करने दें, लेकिन उन्हें कुरान का अध्ययन अवश्य कराना चाहिए.
