रानीगंज(संवाददाता): रानीगंज बुधवार को टीडीबी कॉलेज के सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन में विभिन्न विश्वविद्यालय के उर्दू अकादमी के विभागाध्यक्ष वक्ता के रूप में उपस्थित थे। सेमिनार का विषय समकालीन उर्दू लघु उपन्यास समस्या एवं संभावनाएं । सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता दिल्ली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनवर आलम पाशा ने कहा कि लघु कथा अपने आप में एक गढ़ा हुआ रूप है लघु कथा कार अपने कार्यों की कलात्मक और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के हिस्से के रूप में परिभाषित कर सकते हैं वे शैली और निश्चित संरचना द्वारा वर्गीकरण का विरोध करने का भी प्रयास कर सकते हैं। मुंशी प्रेमचंद जी की भाषा शैली पर उर्दू का अच्छा प्रभाव है उनकी शैली परिमार्जित और स्वाभाविक है। लघु कथा कार देश, जाति और समाज के कल्याण का माध्यम बनते हैं। इस अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सगीर अफरादिप, विशिष्ट अतिथि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शहाबुद्दीन साकिब ने सेमिनार को संबोधित किया। अध्यक्षता मौलाना मजहरुलहक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय बिहार के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर तोकीर आलम ने किया। स्वागत भाषण टीडीबी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आशीष कुमार दे एवं संचालन टीडीबी कॉलेज के उर्दू विभाग के प्रोफेसर डॉ शमशेर आलम ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में उर्दू विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर सावरा खातून प्रमुख रहे।