पार्थ और अर्पिता रहेंगे 14 दिन जेल में, नहीं मिली जमानत

 

कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी और 14 दिनों तक जेल हिरासत में ही रहेंगे। गुरुवार दोनों की कोर्ट में पेशी हुई जहां ईडी के अधिवक्ता ने उनसे और अधिक पूछताछ की जरूरत पर बल दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों ही काफी प्रभावशाली हैं और अगर इन्हें जमानत मिलेगी को साक्ष्यों को मिटाया जा सकता है। उसके बाद ही कोर्ट ने उन्हें 31 अगस्त तक जेल में रखने का आदेश दिया है।
अर्पिता फिलहाल अलीपुर महिला जेल में है जबकि पार्थ चटर्जी को प्रेसीडेंसी जेल में रखा गया है।
—–
पार्थ ने बयान का कागज फाड़ कर फेंक दिया
– कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी अधिकारियों ने पार्थ और अर्पिता के मेलजोल के बारे में कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। ईडी के अधिवक्ता ने बताया कि अर्पिता के नाम पर 31 जीवन बीमा है जिनमें नॉमिनी के तौर पर पार्थ चटर्जी तो पहले से ही हैं। इसके साथ ही उसने जीवन बीमा का रुपया भी पार्थ ही भरते थे। यहां तक कि जीवन बीमा के भुगतान और अन्य जानकारियां पार्थ चटर्जी के मोबाइल पर ही आती थीं। इसके अलावा चटर्जी पर पूछताछ के दौरान गुंडागर्दी का आरोप एक बार फिर ईडी अधिकारियों ने लगाया है। ईडी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया है कि पार्थ चटर्जी के फोन की जांच में जीवन बीमा संबंधी उपरोक्त सारी जानकारी मिली है। इस बारे में पार्थ को बताया गया और उनके बयान से संबंधित कागज पर उनका हस्ताक्षर लेने के लिए ले जाया गया। आरोप है कि पार्थ ने उस कागज को देखते ही फाड़ कर फेंक दिया।
यह भी आरोप है कि पार्थ चटर्जी जांच में थोड़ा सा भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। अभी तक 60 बैंक खातों की जानकारी मिल चुकी है जिसके जरिए रुपये का हेरफेर होता रहा है।
—–
दिवंगत पत्नी के नाम पर ट्रस्ट चलाते थे पार्थ, विदेशों में भेज चुके हैं करोड़ों रुपये
– पार्थ की दिवंगत पत्नी बबली चटर्जी के नाम पर एक ट्रस्ट है। इसी ट्रस्ट के नाम पर एक इंटरनेशनल स्कूल है। इसी ट्रस्ट के जरिए बड़े पैमाने पर रुपये को विदेश में भी भेजा गया है। ईडी के अधिवक्ता ने बताया कि जेल में पूछताछ के दौरान पार्थ चटर्जी बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर पार्थ चटर्जी के अधिवक्ता ने जमानत की अर्जी लगाई थी और दावा किया था कि उनकी सेहत बिगड़ गई है। यह भी आरोप लगे थे कि उन्हें जेल में रखने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि ईडी अधिकारी कुछ भी नई जानकारी हासिल नहीं कर सके हैं।
इसका विरोध ईडी के अधिवक्ता ने किया और कहा कि पार्थ पूरी तरह से स्वस्थ हैं। भुवनेश्वर एम्स के अलावा जोका ईएसआई में लगातार उनकी सेहत की जांच होती रही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पार्थ और अर्पिता दोनों को आगामी 31 अगस्त तक जेल में रखने और ईडी अधिकारियों को जेल में ही पूछताछ की अनुमति दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?