पटना ; महागठबंधन से भाजपा और फिर भाजपा से गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार आज आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. उनके साथ डिप्टी सीएम के रूप में तेजस्वी यादव ने भी शपथ ली. शपथ ग्रहण बिल्कुल सादे समारोह में संपन्न हुआ. नीतीश ने अपना त्यागपत्र मंगलवार को राज्यपाल को सौंप दिया था.और शपथ ग्रहण समारोह में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री भी उपस्थित रहीं.
वहीं, नए गठबंधन और नई सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारियों के बीच आज पूरे बिहार में एनडीए गठबंधन तोड़ने के खिलाफ भाजपा धरना प्रदर्शन किया.
बिहार में हुआ सात दलों का महागठबंधन
नीतीश कुमार इस बार बिहार में सात दलों का साथ लेकर महागठबंधन की सरकार बनाने जा रहे हैं. राजद, कांग्रेस एवं वामदलों के साथ नीतीश कुमार ने मंगलवार को संयुक्त बैठक की थी जिसके बाद सरकार बनाने के लिए उन्होंने राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है, जिसपर स्वीकृति भी मिल गई है. इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नीतीश को बधाई दी.
पहले कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार भाजपा कोटे के मंत्रियों को सरकार से बाहर का रास्ता दिखाकर नई सरकार का रास्ता निकालेंगे, लेकिन उन्होंने त्यागपत्र देकर पूरी तरह से नई सरकार बनाना ज्यादा अच्छा समझा.
पिछले तीन साल में तीन सहयोगियों ने छोड़ा भाजपा का साथ
बता दें कि जद-यू-राजद ने 2015 का बिहार चुनाव एक साथ लड़ा था और फिलहाल 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में जद (यू) के पास 45 और राजद के 79 विधायक हैं. पिछले तीन साल में शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के बाद जद (यू) भाजपा छोड़ने वाला तीसरा प्रमुख सहयोगी है.
बिहार में बार-बार नीतीश की सरकार
3 मार्च 2000 से 10. मार्च, 2000 तक
24 नवंबर, 2005 से 24 नवंबर 2010 तक
26 नवंबर, 2010 से 17 मई, 2014 तक
22 फरवरी, 2015 से 19 नवंबर, 2015 तक
20 नवंबर, 2015 से 26 जुलाई, 2017 तक
27 जुलाई, 2017 से 16 नवंबर, 2020
16 नवंबर, 2020 से नौ अगस्त, 2022 तक
10 अगस्त, 2022 के बाद अब आगे की तैयारी
2024 आम चुनाव की है तैयारी?
साल 2024 में लोकसभा चुनाव होनावाला है और नीतीश अब बड़ी तैयारी में दिख रहे हैं. बिहार के बाद अब विपक्ष की ओर से नीतीश भाजपा के खिलाफ मोर्चा संभाल सकते हैं. इसकी वजह ये है कि अबतक विपक्ष के पास कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं है. हालांकि इस तरह से बिखरे विपक्ष को समेटना और उसका नेतृत्व करना नीतीश के लिए उतना आसान नहीं होगा.