चिरकुंडा (संवाददाता): चिरकुंडा स्थित अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिन वृंदावन से आए कथा प्रवक्ता उत्तम कृष्ण शास्त्री ने मंगलवार को महारास लीला का वर्णन किया।शास्त्री ने कहा कि परमात्मा ने योग माया का आश्रय लेकर जिन गोपियों के साथ महारास लीला की वो सभी गोपियां श्रूतिरूपा,मुनिरूपा,मतस्यरूपा कन्या गोपी हुई।उपासना काण्ड व कर्मकाण्ड के मंत्र ही गोपी है।
गोपी का अर्थ है ‘गोमि: इन्द्रियं कृष्णम रसम पिवती इति गोपी।’जो भगवान की कथा का रसपान करे वही गोपी है।ये समस्त गोपियां भगवान की निष्काम भक्ति करती हैं इसलिए यदि जीवन मे परमात्मा की प्राप्ति करनी है तो जीव को भी निष्काम होने की आवश्यकता है।प्रभु को सरल हृदय वाला ही प्राप्त कर सकता है।ये गोपियां प्रभु के सर्वस्व त्याग के परमात्मा की हो गई।इसलिए गोपियों के इस त्याग का श्रृण प्रभु आज तक नही चुका सके।
शास्त्री ने इस प्रकार महारास लीला का अर्थ बताया।रास शब्द ब्रह्म शब्द है ये ब्रह्म की लीला है किसी साधारण पुरूष या स्त्री का अभिनय नही है।आज जिन गोपियों ने प्रभु को पाने के लिए अनुष्ठान किया था आज महारास के माध्यम से इन गोपियों की मनोकामना को प्रभु पूर्ण कर रहे हैं।
आगे रूकमनी विवाह के माध्यम से भगवान द्वारकाधीश का विवाह लक्ष्मी स्वरूपा रूकमनी मैया से होता है व धुमधाम से विवाह उत्सव मनाया गया।
भागवत कथा को सफल बनाने में आयोजक सुशिल अग्रवाल, संदिप अग्रवाल,किशन अग्रवाल,सुभाष बंशल,पिहु,काव्या,सरिता अग्रवाल,मंजु निगानिया,मटरू निगानिया आदि जोर शोर से लगे हुए हैं।