कोलकाता । 2018 में हुए पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल का चुनाव अवैध है। नतीजतन, चयनित समिति को रद्द कर करने की घोषणा बुधवार को हाई कोर्ट ने की है। कुणाल साहा द्वारा दायर मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि तत्काल एक जांच समिति का गठन किया जाएगा।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की खंडपीठ में हुई। न्यायाधीश ने कहा कि 2018 में पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल का चुनाव अवैध था। नतीजतन, चयनित समिति को रद्द किया जा रहा है। इसलिए अब एक बार फिर पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल का चुनाव होगा। इससे पहले एडहॉक कमेटी बनानी होगी। एक अगस्त से कमेटी पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल की कमान संभालेगी। यह काउंसिल फिलहाल वित्तीय मामलों पर फैसला ले सकेगी। समिती किसी भी चिकित्सक का पंजीकरण रद्द नहीं कर सकेगी और न ही कोई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय ले सकेगी।
न्यायाधीश ने आगे कहा कि समिति को पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के लिए फिर से चुनाव की सारी जिम्मेदारी लेनी होगी। चुनाव परिणाम अक्टूबर तक घोषित करने होंगे। नवनिर्वाचित समिति नवंबर तक पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल का कार्यभार संभाल लेगी।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल का चुनाव जुलाई 2018 में हुआ था। कुणाल साहा ने दावा किया कि चुनाव में अनियमितताएं हुई हैं। जनरल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को मनोनीत किया गया है। हालांकि, योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि मतदान में अनियमितता हुई थी। उस मामले के आलोक में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया।