विधानसभा में फिरहाद ने कहा कोलकाता में चलेंगी केवल इलेक्ट्रिक बसें, ट्राम का विस्तार नहीं

 

कोलकाता । पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि कोलकाता में चलने वाली सभी सरकारी बसों को बैटरी चालित बसों में तब्दील किया जाएगा। इसके अलावा कोलकाता की ऐतिहासिक पहचान रही पर्यावरण मित्र ट्राम का विस्तार नहीं करने की भी घोषणा उन्होंने की है। उन्होंने बताया कि फिलहाल जितनी संख्या में ट्राम चल रही हैं उन्हें विरासत के तौर पर चालू रखा जाएगा।

कोलकाता में पर्यावरण बंधु परिवहन संबंधी एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल कोलकाता में 100 इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं। एक साल के अंदर और 400 बसों को सड़कों पर उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी बसों को भी डीजल के बदले बैटरी चालित किया जाएगा ताकि प्रदूषण कम से कम हो।
रासबिहारी से तृणमूल कांग्रेस के विधायक देवाशीष कुमार ने सवाल किया था कि कोलकाता की ऐतिहासिक ट्राम लाइन के विस्तार के बारे में सरकार की क्या योजनाएं हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि समय के साथ परिवहन व्यवस्थाओं में तेजी आ रही है। ऐसे में ट्राम का परिवहन के साथ कदमताल कर पाना संभव नहीं है। इसीलिए इसका विस्तार नहीं किया जाएगा बल्कि जितनी ट्राम चल रही हैं उन्हें हेरिटेज के तौर पर रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि फिलहाल चितपुर और गरिया में ट्राम की वजह से ट्रैफिक जाम हो जाता है। वहां जगह छोटी है। टॉलीगंज ट्राम डिपो, एस्प्लेनेड और खिदिरपुर में ट्राम चल रही है। हकीम ने कहा कि 2024 के मार्च तक और 400 बैटरी चालित बसें सड़कों पर चलाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि 1200 इलेक्ट्रिक बसों का आर्डर राज्य सरकार ने दिया है जिन्हें सरकारी तौर पर सड़कों पर उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसें बनाने वाली कंपनियां समय पर वाहनों की डिलीवरी नहीं कर पा रही हैं क्योंकि भारत में लिथियम बैटरी की आपूर्ति बहुत कम है। इनकी कीमत भी अधिक है। ऐसी बसों को खरीदने में कम से कम एक करोड़ रुपये कीमत चुकानी पड़ रही है जो डीजल बसों के मुकाबले तीन गुना अधिक है।
इसके अलावा कोलकाता में ट्राम की ही तरह इलेक्ट्रिक ट्रॉली बस चलाने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि इनके लिए पहले से ओवरहेड तार लगे हुए हैं जिनका इस्तेमाल इन ट्रॉली बसों को चलाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ ट्रॉलीबसें चलेंगी जिनकी सफलता मिलने के बाद ही इसे और अधिक संख्या में उतारा जाएगा।

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