“पाकिस्तानी इस्लामी आतंक का टारगेट: मजहब पूछकर हिन्दुओं टूरिस्टों पर हमला, 27 की हत्या”

अमरनाथ यात्रा से पहले जम्मू के पहल गांव में भीषण आतंकी हमला, TRF ने ली जिम्मेदारी

रिपोर्ट: रविंद्र आर्य

जम्मू, 22 अप्रैल — अमरनाथ यात्रा से कुछ दिन पहले, जम्मू के पहल गांव में हुआ सुनियोजित आतंकी हमला एक बार फिर इस्लामी कट्टरपंथ की घातक मानसिकता को उजागर करता है। लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के 4-5 आतंकी पुलिस की वर्दी में आए और सड़क पर जा रहे टूरिस्ट वाहनों को रोककर मजहब पूछने लगे। जिसने “कलमा” नहीं पढ़ा, उसे गोली मार दी गई।

हमले में अब तक 27 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें 25 हिंदू तीर्थयात्री और दो विदेशी नागरिक शामिल हैं — एक इजराइल और दूसरा इटली का निवासी। दोनों विदेशी नागरिकों को ID देखकर गोली मारी गई। चश्मदीदों के अनुसार आतंकियों ने करीब 50 राउंड फायरिंग की। यह न केवल एक धार्मिक नरसंहार था बल्कि एक कूटनीतिक हमला भी था — जब भारत के प्रधानमंत्री मुस्लिम देश सऊदी अरब के दौरे पर थे।

हमला पूरी तरह योजनाबद्ध था:

• स्थानीय कश्मीरी मददगारों द्वारा पहले क्षेत्र की रेकी की गई।

• आतंकी पुलिस की वर्दी में आए जिससे किसी को शक न हो।

• ‘कलमा’ न बोल पाने वालों को चुन-चुनकर मारा गया।

• इजराइली, इटालियन और फ्रांसीसी नागरिकों की मौजूदगी पर विशेष रूप से टारगेट किया गया।

मृतकों में शामिल हैं:

मंजूनाथ (47 वर्ष), रियल एस्टेट कारोबारी, कर्नाटक

इजराइल व इटली के दो विदेशी पर्यटक

तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र के अनेक श्रद्धालु

डेमोग्राफिक बदलाव बना बहाना:
प्रारंभिक जांच बताती है कि यह हमला जम्मू में हिंदू परिवारों द्वारा ज़मीन खरीदने और बसने के कारण हुआ। आतंकी इसे “डेमोग्राफिक चेंज” कहकर औचित्य ठहराते हैं।

लेखक रविंद्र आर्य कहते हैं:
“हिंदुओं पर चली ये गोलियां दरअसल कश्मीर के भविष्य के पेट पर मारी गई हैं। यह हमला हिंदुस्तान की आत्मा पर हमला है। LOC पर चौकसी तो ज़रूरी है ही, लेकिन उससे पहले वैचारिक चौकसी और आंतरिक दुश्मनों पर नियंत्रण कहीं अधिक आवश्यक है।”

सरकारी प्रतिक्रिया:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा:
“आतंकियों का एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई निर्णायक और अटल है।”

गृह मंत्री अमित शाह विशेष विमान से जम्मू पहुंचे हैं। NIA की विशेष टीम कल घटनास्थल का दौरा करेगी।

हमले के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है, सभी होटल खाली हो चुके हैं और तीर्थयात्रियों की वापसी का सिलसिला जारी है।

पहल गांव एवं डोडा मे आतकवादीयों के खिलाफ विरोध शुरू कैंडेल मार्च स्थानीय लोगो ने शुरू किया।

यह हमला केवल एक आतंकी कृत्य नहीं, बल्कि भारत की बहुलतावादी संस्कृति और हिंदू अस्मिता पर संगठित वैचारिक हमला है। इस्लामी जिहाद का यह रूप अब केवल सीमा पार से नहीं, भीतर से वार कर रहा है। यह समय है कि भारत इस विचारधारा को वैश्विक मंच पर बेनकाब करे।

रिपोर्ट: रविंद्र आर्य
(भारतीय लोकसंस्कृति, इतिहास और सामरिक चेतना के स्वतंत्र विश्लेषक पत्रकार)

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