सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत को दिया जवाब


-कांग्रेसी विधायकों के निलंबन को लेकर पूर्व सीएम गहलोत ने भाजपा पर लगाए थे आरोप

जयपुर (आकाश शर्मा)। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को हंगामे के कारण कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत छह विपक्षी विधायकों का शेष सत्र के लिए निलंबन कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर बयान जारी कर भाजपा पर निशाना साधते हुए विधानसभा नहीं चलाना चाहने का आरोप लगाया। गहलोत ने अपने बयान में मंत्री अविनाश गहलोत और सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा का भी उल्लेख किया। जिस पर, विधायक गोपाल शर्मा ने भी उन्हें पलटकर जवाब दिया। इसके बाद, दोनों के समर्थकों में टीका-टिप्पणियों का दौर चलता रहा।
गोपाल शर्मा ने पूर्व सीएम गहलोत को दी नसीहत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों पर पलटवार करते हुए सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने कांग्रेस के इतिहास की याद दिलाते हुए पुरानी फाइलें खोले जा पर होने वाली का संकेत दिया। शर्मा इससे पहले भी पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्तमान मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के एनकाउंटर की साजिश की बात कहने के बाद से कांग्रेस के निशाने पर है। इस बीच शुक्रवार को गोपाल शर्मा ने एक्स पर लिखा –
“क्यों दबी चिंगारी को हवा देते हैं, गहलोत साहब !!
पुरानी फाइलें खुलेंगी तो सबका चाल-चेहरा-चरित्र सामने आ जाएगा।
काश हरिदेव जोशी जी, शिवचरण माथुर जी और जगन्नाथ पहाड़िया जी की इज्जत की होती !!
आप लोगों ने एक-एक को रुलाया है और राजस्थान से भगाया है।”
इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा था
“ऐसा लगता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार विधानसभा चलाना ही नहीं चाहती है इसलिए कभी उनके मंत्री दिवंगत प्रधानमंत्री पर तो कभी इनके विधायक दिवंगत मुख्यमंत्री पर अनर्गल टिप्पणी करते हैं।
आज मंत्री श्री अविनाश गहलोत द्वारा देश के लिए शहादत देने वाली श्रीमती इन्दिरा गांधी पर स्तरहीन टिप्पणी की है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
कुछ दिन पहले विधायक श्री गोपाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माथुर पर श्री किरोड़ी लाल मीणा एवं श्री हरीश शर्मा का एनकाउंटर करने के प्रयास का आरोप लगाया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह नहीं भूलना चाहिए कि श्री माथुर एक स्वतंत्रता सेनानी भी रहे थे।
यह सब भाजपा की स्तरहीन सोच का नतीजा है जो राज्य के विकास पर चर्चा नहीं करना चाहती।”

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