स्वास्थ्य साथी योजना पर दायर जनहित याचिका कोलकाता हाई कोर्ट ने की खारिज

 

कोलकाता, 30 जनवरी । कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना ‘स्वास्थ्य साथी’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि यह योजना राजनीतिक उद्देश्य से शुरू की गई है और आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि निजी अस्पताल अक्सर स्वास्थ्य साथी कार्ड को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं और कई गंभीर बीमारियों का इलाज इस योजना के तहत कवर नहीं किया जाता।

गुरुवार को यह मामला मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हीरनमय भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष आया। अदालत ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सरकार द्वारा शुरू की गई किसी जनहित योजना में हस्तक्षेप करने का उसका अधिकार नहीं है।

खंडपीठ ने यह भी सवाल किया कि यदि यह योजना होती ही नहीं, तो याचिकाकर्ता क्या करता? साथ ही, अदालत ने सुझाव दिया कि अगर योजना को लेकर कोई शिकायत है तो उसे जनप्रतिनिधियों, जैसे सांसदों और विधायकों से संपर्क करना चाहिए।

स्वास्थ्य साथी योजना को 2016 में ममता बनर्जी सरकार द्वारा दूसरी बार सत्ता में आने के बाद शुरू किया गया था। इस योजना के तहत हर परिवार को सालाना पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलता है।

हालांकि, विपक्षी दल भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ योजना को बंगाल में लागू होने नहीं दे रही है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि स्वास्थ्य साथी योजना आयुष्मान भारत से बेहतर है क्योंकि इसमें किसी भी तरह की शर्तें नहीं रखी गई हैं।

 

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