
कोलकाता, 20 दिसंबर ।तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम, जिन्हें ‘बॉबी’ के नाम से जाना जाता है, एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। पार्टी को इस बार उनके बयान पर औपचारिक रूप से निंदा करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस बयान से नाखुश हैं और हकीम पर गाज गिर सकती है।
फिरहाद ने अपने हालिया बयान में अल्पसंख्यकों को ‘संख्याबल बढ़ाने’ की बात कही थी। यह बयान ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश में हिंदूओं पर अत्याचार के मामले सुर्खियों में हैं। इन घटनाओं ने पश्चिम बंगाल में भी राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने में जुटी हुई है। पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी लगातार सभाओं में इस विषय को उठा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में तृणमूल कांग्रेस को फिरहाद के बयान की निंदा करनी पड़ी।
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पुराने बयान भी विवादित
यह पहली बार नहीं है जब फिरहाद हकीम के बयान विवादों में आए हैं। जुलाई में उन्होंने एक धार्मिक समारोह में कहा था कि जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए हैं, वे ‘दुर्भाग्यशाली’ हैं। हालांकि, उस समय तृणमूल ने इस बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। लेकिन मौजूदा हालात में तृणमूल इस मुद्दे पर चुप नहीं रह सकी।
पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति ने तृणमूल को मजबूर कर दिया कि वह फिरहाद के बयान से दूरी बनाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीमावर्ती जिलों में प्रशासन को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। गंगासागर मेले को लेकर भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए हैं, ताकि बांग्लादेश की घटनाओं का असर पश्चिम बंगाल में न पड़े।
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बीजेपी ने बनाया निशाना
बीजेपी के आईटी सेल ने फिरहाद के बयान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा किया है। सोशल मीडिया पर उनके बयान का वीडियो वायरल किया गया। फिरहाद ने अपनी सफाई में कहा कि उनके बयान को ‘तोड़-मरोड़कर’ पेश किया गया है। उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह से भारतीय हूं। बीजेपी मेरे बयान का सांप्रदायिक इस्तेमाल कर रही है।” उनकी बेटी प्रियदर्शिनी हकीम ने भी उनके बचाव में कहा कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया है।
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पार्टी में अंदरूनी समीकरण
फिरहाद हकीम तृणमूल कांग्रेस में एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्हें राज्यभर में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाला चेहरा माना जाता है। हालांकि, हाल के दिनों में पार्टी के भीतर अन्य मुस्लिम नेताओं को भी जिम्मेदारियां दी गई हैं। ममता बनर्जी ने मोशरफ हुसैन को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा, जावेद अहमद खान और अब्दुस सत्तार जैसे नेताओं को भी प्रमुख भूमिकाएं दी गई हैं। फिरहाद के बयान के बाद उनकी अनुपस्थिति कई कार्यक्रमों में दर्ज की गई, जिससे अटकलें तेज हो गईं।
