नीदरलैंड में दशहरा उत्सव पर हिंदी कवि सम्मलेन : नारी का अपमान हुआ तो जल जायेगी सोने की लंका – डॉ अशोक बत्रा

नीदरलैंड 14 अक्टूबर। हम भारतीय, विश्व में कहीं भी रहें, अपनी भाषा, परंपरा , बोली व संस्कृति को हमेशा अपने साथ सँजोए रखते हैं। कल नीदरलैंड के लियोवर्डेन शहर में दशहरा उत्सव पर एक “ काव्य गोष्ठी “ का आयोजन किया गया । इस अवसर पर नीदरलैंड व भारत के कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस कार्यक्रम का आयोजक नीदरलैंड निवासी कवि इन्द्रेश कुमार व सुयश जी द्वारा किया गया ।

इस अवसर पर उपस्थित कवि गणों में भारत से वरिष्ठ कवि व शिक्षाविद डॉ अशोक बत्रा , मारिशस से साहित्यकार डॉ रामा तक्षक जी, अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगठन नीदरलैंड की अध्यक्ष व साहित्यकार डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, डेन हाग नीदरलैंड के वरिष्ठ कवि व लेखक विश्वास दूबे जी , कवि व लेखक मनीष पाँडे जी व नीदरलैंड की सामाजिक संस्था “ मैत्री vriendschap voor Iedereen “ के संस्थापक डॉ दिनेश ननंन पाँडे सहित साहित्य व सूरीनामी प्रवासी भारतीय उपस्थित रहे।


श्री मनीष पांडेय जी ने कहा –-“हम तेरी झील सी गहरी आंखों में ऐसे डूब जाते है जैसे किसान साहूकार के कर्जे में डूब जाते हैं” ।डॉ रामा तक्षक ने दुर्गा पूजा के सन्दर्भ में :हे महिला तुम हो सबला” कविता सुनाकर नारी शक्ति को रेखांकित किया I
श्री विश्वास दुबे जी ने भगवान राम को समर्पित कर कहा-“मैं राम का राम मेरे,बाकी सब है माया. बड़ी बाट जोही है रघुवर तब ये दिन आया” सुनाकर राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा की याद दिला दी I डॉ ऋतु शर्मा नन्नन पांडे जी ने “भगवान दे दो ये वरदान मैं भी दूल्हा बन जाऊ” सुनाकर सब को हसाया।
कार्यक्रम के संचालक इंद्रेश कुमार ने हास्यव्यंग्य “आम है सब को खाना पेड़ नहीं लगाया” सुनाकर सब को हसाया.कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोका बत्रा जी ने “उसने दस पी एच डी कर ली, दीवारें सोने की कर ली।नारी की मरजाद हरी तो ,धू-धू कर जल उठा दशहरा ” से दशहरे के भाव इंगित किया l


इस अवसर पर नीदरलैंड की सामाजिक संस्था “ मैत्री Vriendschap voor Iedereen “ व अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगठन नीदरलैंड द्वारा डॉ अशोक बत्रा जी को हिन्दी भाषा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए “प्रशस्ति पत्र”सम्मान स्वरूप प्रदान किया गया।
काव्य गोष्ठी के बाद स्थानीय प्रवासी भारतीयों द्वारा भजन कीर्तन के साथ साथ बच्चों के लिए रामायण पर आधारित फिल्म दिखाई गई । बाद में बच्चों द्वारा निर्मित रावण का सामूहिक रूप से दहन किया गया ।

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