राम मंदिर की नींव में कोठारी भाइयों ने अपने प्राणों के पुष्प अर्पित किए : सुधांशु त्रिवेदी

 

कोलकाता, 18 मार्च । भाजपा के राज्यसभा सांसद एवं प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शनिवार को कोलकाता में राम शरद कोठारी बंधुओं के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में उनके बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में यह रीति रही है कि जब भी कोई मंदिर बनता है तो उसकी नींव पर पवित्र पुष्प अर्पित किए जाते हैं। आज बन रहे भव्य राम मंदिर की नींव में राम शरद कोठारी भाइयों ने अपने बलिदान के जरिए अपने प्राणों के पुष्प अर्पित किए।

उन्होंने 90 के दशक के राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए बताया कि उस समय वह छात्र संघ में थे और कार सेवा में सक्रिय थे।

तब कारसेवकों का ध्येय वाक्य बन गया था सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे, शासन की गोली सीने पर खाएंगे, सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे। राम शरद कोठारी बंधुओं ने इस सौगंध को अपने बलिदानों के जरिए पूरा किया।

त्रिवेदी ने कहा कि देश इन दोनों भाइयों का बलिदान सदा याद रखेगा और हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

राम शरद कोठारी स्मृति संघ की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए त्रिवेदी ने कविताओं के जरिए देश के लिए बलिदान हुए हुतात्माओं को भी श्रद्धांजलि दी और कहा कि जिन्होंने इस देश के लिए खुद को न्योछावर कर दिया है वे ऐसे देवात्मा हैं जो अपने पुण्य को संजो कर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कई तरह की आत्माएं जन्म लेती हैं। कुछ अपने पुण्यों को क्षीण करने के लिए आते हैं तो कुछ पुण्य को संचित करने के लिए आते हैं। राम शरद कोठारी भाई ऐसे ही महान आत्माओं में से थे जिन्होंने राम कार्य में खुद को न्योछावर कर असीमित पुण्य संजोए हैं। उन्होंने गलवान के बलिदानों को भी श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र तथा समाज के लिए समर्पित भाव से काम करने वालों को राम शरद कोठारी बंधुओं के नाम पर दिए जाने वाले प्रतिभा सम्मान की सराहना की। कार्यक्रम में कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी भी उपस्थित थीं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेताओं में अद्वैत चरण दत्त, अजय नंदी और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस दौरान सीमा पर बलिदान हुए जवानों के परिवार के साथ ही राष्ट्र व समाज के लिए समर्पित बच्चों और युवाओं को सम्मानित किया गया।

जब सुधांशु त्रिवेदी ने अपना संबोधन शुरू किया तब यहां कला मंदिर में उपस्थित सैकड़ों लोगों ने जय श्री राम का उद्घोष किया। इसका भी जिक्र करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सेना में राजपूत रेजीमेंट का युद्ध घोषवाक्य है रामचंद्र की जय, बिहार रेजीमेंट का है जय बजरंगबली और गोरखा रेजीमेंट का है आयो री गोरखाली जय मां काली। ये नारे हमारी सेना के शौर्य के प्रतीक रहे हैं लेकिन आज तुच्छ राजनीति के लिए ऐसे प्रतीकों को सांप्रदायिकता से जोड़कर उसे छोटा करने की कोशिश हो रही है।

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