कोलकाता, 15 मार्च । पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार हुगली युवा तृणमूल नेता और जिला परिषद अध्यक्ष शांतनु बनर्जी को एक जोरदार झटका लगा है। इल बार उन्हें बुधवार को राज्य विद्युत बोर्ड ने नौकरी से निलंबित कर दिया है। शांतनु राज्य विद्युत वितरण बोर्ड के कर्मचारी थे। उनका कार्यालय हुगली के बालागढ़ के सोमराबाजार में है। हालांकि,वह नेता बनने के बाद नियमित रूप से कार्यालय में नहीं देखे गए। इससे पहले उन्हें भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद मंगलवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि शांतनु बनर्जी के पिता जयदेव बनर्जी राज्य विद्युत वितरण बोर्ड के कर्मचारी थे। 2008 में पिता की मृत्यु के बाद उन्हें वह नौकरी मिली। शांतनु के पिता हेड क्लर्क थे। शांतनु को उनसे नीचे नौकरी मिली क्योंकि उनके पास स्नातक की डिग्री नहीं थी। उनके करियर की शुरुआत खानकुल से हुई थी। बाद में वह घर के पास सोमराबाजार चले आये। कुछ स्थानीय निवासियों ने बताया कि वह पहले नियमित रूप से कार्यालय जाते थे। उसके बाद शांतनु 2014 में हुगली जिला युवा तृणमूल के अध्यक्ष बने। इसके बाद से युवा नेता के व्यवहार में बदलाव आ गया। उस वक्त वह काले रंग की एसयूवी में ऑफिस जाते थे। उनके साथ हमेशा चार से पांच सुरक्षा गार्ड होते थे।
इसके बाद शांतनु की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई। उन्होंने तारकेश्वर जिला परिषद सीट से 2018 का पंचायत चुनाव निर्विरोध जीता। जनस्वास्थ्य तकनीकी विभाग के निदेशक भी बने। स्थानीय निवासियों का दावा है कि व्यस्तता बढ़ने के बाद से उन्होंने ऑफिस आना-जाना कम कर दिया था। इसके बाद वह अगर ऑफिस जाते भी तो सिर्फ दस मिनट के लिए। उस ऑफिस में उनका अपना कमरा भी था।
ईडी की गिरफ्तारी के चार दिन बाद तृणमूल ने शांतनु को निष्कासित कर दिया। ईडी सूत्रों के मुताबिक, यह खबर सुनकर वह हैरान रह गए। उसी शांतनु को इस बार विद्युत परिषद ने निलंबित कर दिया है।