बराकर।शीतला माता की पूजा चैत्र माह की सप्तमी और अष्टमी तिथि को की जाती है. बुधवार को शीतला माता की पूजा अर्चना कर यह पर्व मनाया गया। शीतला पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा कर मान्यताओं के अनुसार इस दिन शीतला माता को बासी या ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है ठंडे भोजन का भोग लगाकर श्रद्धालुओ ने सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान तड़के सुबह से ही माता के मंदिर में आस्था का ज्वार उमड़ा। शीतला माता को ठंडे खाने का भोग लगाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य है। माता शीतला को ठंडे व्यंजन और जल पसंद है इससे माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों को निरोग रहने का वरदान देती है।
इस महीने में शीत ऋतु की समाप्ति के साथ ही ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत होती है।मौसम बदलने की वजह से लोगों को काफी परेशानियां होती है. इस समय लोगों को शीत यानी सर्दी से संबंधित बीमारियां हो जाती हैं. शीतला देवी को शीत की देवी मानते हैं ऐसे में मान्यता है कि शीलता देवी की पूजा करने से शीत संबंधित रोग नहीं होते हैं।