कोलकाता । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने श्री मदन लाल अग्रवाल जी की कृति शेष सभा में संबोधन करते हुए कहा है कि सनातन का उत्थान होना ही है। इससे हिंदू राष्ट्र का उत्थान होना अवश्यंभावी है। सोमवार को कोलकाता के इस्कॉन प्रेक्षागृह में आयोजित स्मृति शेष कार्यक्रम में एकल विद्यालय के प्रणेता और वन बंधु परिषद के संस्थापक संरक्षक मदनलाल अग्रवाल की 100वीं जयंती के मौके पर संबोधन करते हुए भागवत ने कहा कि योगी अरविंद ने कहा है कि मुझे स्वयं कृष्ण ने बताया है कि सनातन का उत्थान होना अवश्यंभावी है और इससे हिंदू राष्ट्र का उत्थान होकर ही रहेगा। हमें केवल निमित्त बनना है, और मदन लाल जी का जीवन उसी निमित्त की प्रेरणा है। उन्हीं के दिखाए रास्ते पर हमें विजय यात्री बन कर आगे बढ़ना होगा। विजय निश्चित है।
उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि हमें कैसे जीवन जीना चाहिए तो इसके उदाहरण मदन लाल अग्रवाल जैसे हमारे पूर्व पुरुष हैं जिन्होंने गृहस्थ जीवन में रहकर परिवार, समाज, राष्ट्र और ईश्वरीय कार्यों को एक साथ लेकर चलना सिखाया है। उन्होंने अपने परिवार का भी खूब ख्याल रखा और उतना ही ख्याल उन एकल विद्यालय जैसी संस्थाओं का रखा जिन्होंने वनवासियों के जीवन को बेहतर करने में महती भूमिका निभाई है। वह आशा निराशा यश अपयश के मोह से परे सदा उत्साह में काम करते थे। किसी ने गलतियां की तो उन्हें डांटते थे लेकिन उनकी ममता ऐसी थी कि कोई उनसे दूर नहीं गया। अगर उनकी स्मृति को जीवंत रखना है तो उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी।
भागवत ने संघ के संस्थापक केशव बलीराम हेडगेवार और श्री गुरु जी के जीवन को याद करते हुए कहा कि हेडगेवार जी जैसे कर्मयोगी और गुरु जी जैसे सिद्ध पुरुष ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की बेहतरी के लिए खपा दिया। इसलिए जो दिन उन्होंने नहीं देखे वह आज हम देख रहे हैं और हमें भी बिना डिगे अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहना होगा। मदनलाल अग्रवाल और हमारे अन्य पूर्व पुरुषों ने हमें सिखाना है कि जीवन में आने वाली किसी भी बाधा की परवाह किए बगैर उसका उपाय ढूंढना और उस राह पर सतत बढ़ते जाना ही किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति का सबसे कारगर साधन है। गुरुजी का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि जब संघ पर सबसे पहले प्रतिबंध लगा था तब कई लोगों ने ऐसा कहा कि अब हमें अपने कार्य को बंद कर देना चाहिए। उसमें कई पुराने लोग भी थे लेकिन गुरु जी ने उन्हें साफ कह दिया कि आप अगर हमारे साथ चलेंगे तो ठीक है नहीं तो मैंने तो अपना रास्ता तय कर लिया है। मैं अकेले आवश्यकता पड़ेगा तो नए सिरे से स्वयंसेवकों को लेकर शाखा लगाउंगा लेकिन काम बंद नहीं होगा। मदन लाल अग्रवाल में भी यही दृढ़ता थी और हर स्वयंसेवक को इसी दृढ़ता और आत्मविश्वास को लेकर आगे बढ़ना होगा। भागवत ने कहा कि भारतीय परंपराओं में शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा की आवश्यकता पर विचार किया गया है। हमारे इतिहास में ऐसे अनेक महापुरुष हैं जिन्होंने इन चारों रास्तों पर चलते हुए जीवन के आदर्श उदाहरण पेश किए है और ऐसे लोग आज भी हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जिस महत्वपूर्ण लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं उसके प्रति कदम बढ़ाते रहना होगा। यही मदनलाल अग्रवाल और अन्य महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर समाजसेवी और उद्योगपति सज्जन भजनका ने की जबकि धन्यवाद ज्ञापन मदन लाल अग्रवाल के बेटे चंद्रमोहन अग्रवाल ने किया।